---

गुरुवार, 17 सितंबर 2020

1889...वे दंगाई उसे अवश्य जानते होंगे...


सादर अभिवादन। 

गुरुवारीय अंक में आपका स्वागत है। 

      24 -26 फरवरी 2020 के बीच दिल्ली में हुए दंगों की दिल्ली पुलिस ने अदालत में चार्ज-शीट दाख़िल कर दी है जिसमें 53 (40 मुसलमान, 12 हिंदू एवं 1 व्यक्ति के धर्म आदि की पहचान नहीं हो सकी ) लोग मारे गए थे। 
देश की राजधानी में दंगों का होना और फिर हिंसा में मृत एक व्यक्ति की पहचान न हो पाना व्यवस्था पर अनेक सवाल खड़े करता है। देशभर से किसी ने उस व्यक्ति पर दावा नहीं किया। हो सकता है कि वह ऐसे इलाक़े और परिवार से या बिना परिवारवाला हो जहाँ सूचनाएँ न पहुँच पातीं हों या फिर वह कोई विदेशी नागरिक हो। 
मेरा मानना है कि वे दंगाई उसे अवश्य जानते होंगे जिन्होंने उसे नृशंसतापूर्वक मार डाला है। समाज ऐसी कई पहेलियाँ बनाता और सहेजता रहता है। समाज में आपराधिक प्रवृत्ति एकाधिकार की मंशा को खाद-पानी दे रही है। बहुसंख्यकवाद का वीभत्स रूप अभी देखना बाक़ी है।

#रवीन्द्र_सिंह_यादव

आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-

उलूक
चिड़िया कपड़े ना पहना करती है
ना उसे आदत होती है बात करने की नंगई की
उसकी जरूरत भी नहीं होती है

हम सब कर लेते हैं
खास कर बातें कपड़ों की

और ढकी हुई उन सारी लाशों की
जिनकी खुश्बू पर कोई प्रश्न नहीं उठता है 


मेरी फ़ोटो
भागती हुई यादों से 
कहता हूं रुको
मेरी "अपना"
आती होगी
उसके बालों में फंसे
हरसिंगार के फूल निकालना हैं
जिन्हें मैँ जतन से
सहेजकर रखता हूँ


अन्तर्मन रहता है 
सदा ही उपेक्षित 
देह के एक कोने में
मासूम बच्चे सा
उठाता है सिर कई बार
जोर लगा कर 
तो व्यस्त भाव से 
पूरी श्रद्धा और हक  से 
दबा देते हैं 
उसकी आवाज़


पूछना उनसे जो छोड़ गए थे घर, खेत, माता पिता,
यूं ही, रोटी रोज़गार, नून तेल सब की जुगत में..
इस बार लौटे तो खाली दालान ने कैसे की अगवानी,
टूटे छप्पर ने लोरी गाई 
कुंए के पानी ने ख़ाली पेट को तर किया या नहीं...


प्रतिस्पर्द्धा और प्रतिबद्धता दोनों ही फेडरेशन के कुकृत्यों के िए खतरा हैं। अभी तक फेडरेशन के नेता कुछ भ्रष्ट रेलवे अधिकारियों के साथ िलकर टेंडर्स के नाम पर बड़े घोटाले, करोड़ों की रेलवे भूमि को खुर्दबुर्द करके, वेंडर्स से लेकर कंस्ट्रक्शन, रेलवे अस्पतालों के सामान खरीद तक में घोटाला करके मामूली से पद पर रहते हुए जो करोड़ों कमा रहे हैं, वो ये नहीं कर पायेंगे, कर्मचारी संगठन पर दबदबा खो देंगे, सो अलग।

आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे आगामी मंगलवार। 

#रवीन्द्र_सिंह_यादव


9 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर सराहनीय संकलन ."पाँच लिंकों का आनन्द" में रचना साझा करने के लिए सादर आभार .

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह!अनुज रविन्द्र जी ,सुंदर प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह
    बहुत सुंदर लिंकः संयोजन
    सभी रचनाकारों जो बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार
    आपको साधुवाद

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।