---

गुरुवार, 4 जून 2020

1784...महाविनाश की मौन पदचाप

सादर अभिवादन। 

गुरुवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।

सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका कल ख़ारिज हो गई जिसमें माँग की गई थी कि 'भारत' को सिर्फ़ भारत के नाम से जाना जाय 'इंडिया' शब्द को हटा दिया जाय।
संविधान में उल्लेख है-
"इंडिया दैट इज़ भारत"
भारत को दुनिया हिंद, हिंदुस्तान और इंडिया (ग्रीक भाषा के शब्द इंडिका से व्युत्पन्न ) के नाम से आमतौर पर जानती है। कुछ और नाम भी हैं जो भारतीय साहित्य और वैदिक साहित्य में मिलते हैं-
भारतवर्ष,
आर्यावर्त,
भारतखण्ड,
जम्बूदीप,
हिमवर्ष,
अजनाभवर्ष आदि। 

आइए आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-

माना कि विधाता से भूल हुई
तुम्हें बनाने में
लेकिन उस भूल को इस तरह
सरे आम उछालना ज़रूरी तो नहीं!

दस दिन बाद कालेज खुलना था, गयी भी, किन्तु हाकी मैच जीतने की ख़ुशी में बन्द था. कम्पनी बाग़ के रास्ते से बेरी बाग चली गयी. कम्पनी बाग़ बिल्कुल वैसा ही लगा जैसा उस समय से दस वर्ष पहले था, उसके बचपन की कितनी ही संध्याएं वहाँ गुजरी हैं. वहां एक छोटी लड़की से भेंट हुई, कितनी प्यारी और समझदार ! उस नन्ही बच्ची में सौंदर्य की सराहना करने की शक्ति है, हवा में भागते हवा से खेलते बोली, हम कबूतरों की तरह उड़ रहे हैं. वह नदी को सराह सकती थी, उसने ठंडी हवा और उसकी मित्रता को  एक वाक्य कहा - तुम अच्छी लगती हो !

हर तरफ से अपना मन मार कर जब तक 
जिंदगी जीती रही औरों के लिए 
सबको खूब पसंद आया 
"अच्छी बहू" का टैग भी लगाया 
आधी से ज्यादा जिंदगी बिता कर 
जब ख़ुद के लिए जीने की चाह जगी 
तो किसी को अच्छा नहीं लगा 
जब चुप ने शब्दों का साथ देना शुरू किया, 
खुद के लिए बोलना शुरू किया 
तो किसी को अच्छा न लगा 

सुनो मनुष्य!
समरसता की आस में
थक चुकी रोष से भरी 
प्रकृति के प्रतिकार का
क्षणांश नाद ही
महाविनाश  की
मौन पदचाप,
दस्तक है।

प्रशांत ने कहा मेहनत और लगन ही सुपर पावर होती है। यह शक्ति इस लॉकेट में नहीं जबकि मेरे अंदर थी और मैं पहले नंबर पर आया यह एक चमत्कार है। मेरे दोस्त तू भी अपने अंदर की शक्ति को पहचान और चमत्कार देख, तू भी पहला नंबर आ सकता है।
*****



आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगली प्रस्तुति में। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

9 टिप्‍पणियां:

  1. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई..
    बढिया प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  2. व्वाहहहहहह...
    इण्डिया
    इसका मतलब पहले समझना होगा
    आदरणीय विभा दीदी बताएँगी
    बेहतरीन प्रस्तुति
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. पठनीय रचनाओं की खबर देते लिंक्स, आभार मुझे भी शामिल करने हेतु !

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर सार्थक सूत्रों का संकलन आज की हलचल ! मेरी रचना को इसमें स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. I:Indipanded
    N:Nation
    D:Declared
    I:In
    A:August
    शायद इस वजह से भारत नहीं हो पा रहा है..
    आदरणीय विभा दीदी ज्यादा बताएंगी..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत बढियां रचना संग्रह, सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।