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गुरुवार, 16 जनवरी 2020

1644...अब सड़क सुरक्षित नहीं...

सादर अभिवादन। 

बच्चे ने कहा-
मुझे पुस्तकालय ले चलो,
पिता ने कहा-
ऑनलाइन पढ़ो!
अब सड़क सुरक्षित नहीं। 

-रवीन्द्र सिंह यादव 

आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-

मोहिनीअट्टम......प्रोफ़ेसर गोपेश मोहन जैसवाल 

पद-धारी साहित्यकार की लीला, अपरम्पार है,
अपनी छवि पर स्वयम् मुग्ध है, बाकी सब बेकार है.
तुलसी को कविता सिखलाता, प्रेमचन्द को अफ़साना,
वर्तमान साहित्य सृजन का, अनुपम ठेकेदार है.
चाहे जिसका गीत चुरा ले, उसको यह अधिकार है,
बासे, सतही, कथा-सृजन से, भी तो कब इन्कार है.
प्रतिभा का संहारक है, भक्तों का तारनहार है,


वो मेरे सूरज हैं रक्ताभ

तभी तो चन्दा सा नूरानी चेहरा रे
चंचल चितवन घनकेश घटा मेरी
वो नैनों की झील में आकण्ठ डूबा रे
बिन सिंगार के भी पूछते हैं लोग

क्यों रूप निखरताा जा रहा मेरा  
कैसे बतलाऊँ हया की बात

कि क्यूँ रक्तिम हुए मेरे रूख़सार रे,


My photo

छोटी-छोटी सी आशाएं,
छोटे-छोटे सपने लेकर।
तरस रहा है आज आदमी
होती कैसे अब गुजर-बसर।
डूब रहा है सूरज उसका,
सब खुशियां लेकर।
भूचालों की बुनियादों पर
है सपनों का घर।



देहरी पर 
एक हरा पत्ता. 
कुचला हुआ. 
जब शब्द कम हों तो 
अभाव महसूस होता है. 
और जो क्षणभंगुर है 
वह स्थायित्व लाता है. 
जो हवा में उड़ता है 
वह ठहर जाता है.


बातें, नित होंगीं सूरज से, हँसी ठहाके मारेंगे,

पतंग बना कागज की, उस पर अपने रंग उतारेंगे;
मुस्कानों के चित्र भरेंगे, कागज के ऊपर रंगों में,
पूँछ बड़ी सी बना, बाँध, उसको धागे सतरंगों में।



है कसक मगर ये मेरे घर की बात है

यकीं न हो तो फिर   इज़्तिराब  देखिये

कोयल की काहिली और पहाड़ सा है  जुर्म
गर चिंटियाँ करेंगी इंकीलाब देखिये


हम-क़दम का नया विषय


आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

11 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन पंक्तियों से आगाज़.।
    आनलाईन पढ़िए
    है सुरक्षित नहीं
    अब शहरों की
    गलियां व सड़कें
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. पुस्तकों की जानकारी ऑन लाइन पूरी करने में कम सक्षम है
    हमारी वजह से सड़कें सुरक्षित नहीं हैं

    उम्दा लिंक्स चयन

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत शानदार प्रस्तुति गहरे अर्थ की छोटी भूमिका,
    सुंदर लिंक चयन,
    सभी रचनाएं बहुत आकर्षक ‌,
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  4. खूबसूरत प्रस्तुति रविन्द्र जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🙏🌷 मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय 🙏🌷 सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. हमारे ज़माने में पुस्तकालय हर जागरूक विद्यार्थी की ज्ञान-पिपासा को तृप्त करने का साधन और उसकी उन्नति की सीढ़ियाँ हुआ करते थे. लेकिन आज इन पुस्तकालयों की जगह साइबर कैफ़े ने ले ली है जिनमें जाकर विद्यार्थी पढ़ने के बजाय अधिकतर ऐसे काम करते हैं जिनके बारे में चुप्पी साध लेना ही बेहतर होगा.

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर प्रस्तुति, बेहतरीन रचनायें

    जवाब देंहटाएं
  8. शानदार प्रस्तुति उम्दा लिंक्स
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  9. पिता ने कहा-
    ऑनलाइन पढ़ो!
    अब सड़क सुरक्षित नहीं। ...
    यह पंक्ति एक महाकाव्य की सी संवेदना और भाव-प्राकट्य को सहेजे हुए है। अनायास ही मन सिहर उठा। अत्याधुनिक मानव समाज द्वारा इस भौगोलिक पिंड (पृथ्वी) पर हो रहे अवांछित एवं सतत निंदित कर्मों को रेखांकित करती चिंतनशील भावाभिव्यक्ति।
    उत्तम रचनाओं से साक्षात कराने के लिए आपका आभार एवं सादर नमन आदरणीय रवीन्द्र सर।

    जवाब देंहटाएं

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