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मंगलवार, 19 नवंबर 2019

1586..आज एक नया प्रयोग, आज की रचनाएँ एक बन्द ब्लॉग से

सादर अभिवादन..
आज के ब्लॉग का नाम है
दिल की कलम से...

आइए पढ़ें इस ब्लॉग की रचनाएँ

प्रेम मे डूबे हुए मैं गीत अब न लिख सकूँगी...
मैं मिलन की चाशनी में शब्द लिपटे न चखूँगी...

हो भले चिर यौवना सौंदर्य की प्रतिमा भले हो...
मैं समेटे कोख मे श्रृंगारिता अब न रखूँगी...

हँसी होंठों पे रख, हर रोज़ कोई ग़म निगलता है
मगर जब लफ्ज़ निकले तो ज़रा सा नम निकलता है.

वो मुफ़लिस खोलता है रोटियों की चाह मे डिब्बे
बहुत मायूस होता है वहाँ जब बम निकलता है.

मिन्नतें रोटी की वो करता रहा...
मैं भी मून्दे आँख बस चलता रहा...

आस में बादल की, धरती मर गयी...
फिर वहाँ मौसम सुना अच्छा रहा...

दूर था धरती का बेटा, माँ से फिर...
वो हवा में देर तक लटका रहा...

जो इश्क़, खुदाई न होती, ये गीत औ साज़ नहीं होते...
जो कान्हा न फेरे उंगली, मुरली में राग नहीं होते,

दो जिस्म मिले, इक आँच उठी, गर इश्क़ इसी को कहते हैं...
तो सूर, बिहारी, मीरा क्या, राधे और श्याम नहीं होते...


सियासी आग के करतब, दिखा रहे हैं यहाँ...
नाखुदा मुझको भंवर में, फँसा रहे हैं यहाँ...

कोई क्लाइमैक्स सिनेमाई चल रहा है अभी...
मौत के बाद मेरी जाँ बचा रहे हैं यहाँ...

मैने कमरों में भर लिए हैं नुकीले पत्थर...
चुनाव आने की खबर दिखा रहे हैं यहाँ...
...
किसी भी रचना में चित्र नहीं है
रचनाकार श्री दिलीप जी
लख़नऊ ब्‍लॉगर्स असोसिएशन के सदस्य है
2013 के बाद 
इस ब्लॉग मे कोई रचना नहीं आई है
......

इस सप्ताह का विषय
छियानबेवां विषय

बिटिया
उदाहरण
आज भी तो नवजात बिटिया के 
जन्म पर,भविष्य के भार से 
काँपते कंधों को संयत करते
कृत्रिम मुस्कान से सजे अधरों और
सिलवट भरे माथे का विरोधाभास लिये
"आजकल बेटियाँ भी कम कहाँ है"
जैसे शब्दांडबर सांत्वना की थपकी देते
माँ-बाबू पर दया दृष्टि डालते परिजन की
"लक्ष्मी आई है"के घोष में दबी फुसफुसाहटें
खोखली खुशियाँ अक्सर पूछती हैं
बेटियों के लिए सोच ज़माने ने कब बदली?
कलमकारः सखी श्वेता सिन्हा

अंतिम तिथिः 23 नवम्बर 2013
प्रकाशन तिथिः 25 नवम्बर 2013

प्रविष्ठिया मेल द्वारा सांय 3 बजे तक

सादर




10 टिप्‍पणियां:

  1. पुराने रचनाकरों के चुनिंदा ब्लॉग ही जीवित है अभी..
    बेहतरीन ग़ज़ले दिलीप जी की..
    शुभकामनाएं उनको..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. जब सांसें हैं तब तक सुख-दुख है उनकी अनुभूति है उसको याद रखने के लिए अभिव्यक्ति है तो लेखन जारी रहना चाहिए

    सराहनीय प्रस्तुतीकरण

    सस्नेहाशीष संग असीम शुभकामनाएं छोटी बहना

    जवाब देंहटाएं
  3. हिंदी ब्लॉग लेखन अधिक से अधिक लिखा जाय और निरंतरता बनी रहे, उसके लिए ऐसी पहल जरुरी है

    जवाब देंहटाएं
  4. आपका बहुत बढ़िया प्रयास। उनका ब्लॉग भले ही बंद हो चुका है लेकिन उनकी रचना अभी बोल रही है....और वो बेहतरीन और खूबसूरत ढंग से। इनकी लेखनी वाकई लाजवाब है।
    ब्लाॅग का प्रस्तुतिकरण भी बिल्कुल भिन्न है। अद्भूत।
    बहुत-बहुत धन्यवाद आपका ऐसी रचनाएँ हमारे साथ साझा करने के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर संकलन। ऐसे कई बंद ब्लॉग हैं, जिनको पढ़ना हमारे सीखने के लिए आवश्यक है। उन्हें सामने लाने के लिए सप्ताह में एक दिन निश्चित किया जाए तो अच्छा रहेगा। नए लेखकों को बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा। सादर।

    जवाब देंहटाएं
  6. जी दी बेहद सराहनीय प्रयास है।
    सभी रचनाएँँ बेहद शानदार है।
    आपकी प्रस्तुति के नवीन प्रयोग सराहनीय है दी।

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहद खूबसूरत एवं सार्थक संयोजन।सभी रचनाएँ बेहतरीन।सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं

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