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बुधवार, 16 अक्टूबर 2019

1552..सर्दियों का मौसम लगभग आरंभ हो गया है



।।प्रातः वंदन।।

"शैशव के सुन्दर प्रभात का मैंने नव विकास देखा।
यौवन की मादक लाली में जीवन का हुलास देखा।

जग-झंझा-झकोर में आशा-लतिका का विलास देखा।
आकांक्षा, उत्साह, प्रेम का क्रम-क्रम से प्रकाश देखा।"
सुभद्राकुमारी चौहान

कण- कण में बसती जिंदगी के नवभाव, नवप्रीत की आशाओं संग नज़र डाले आज की लिंकों पर..✍

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अब जब सब प्रदूषित है
तुम प्रदूषण मुक्त रहोगे न
शरद पुनम के चाँद हमेशा
धवल चाँदनी दोगे न.....
खीर का दोना रखा जो छत पे
अमृत उसमें भर दोगे न....
सोलह कलाओं से युक्त चन्द्र तुम

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सर्दियों का मौसम लगभग आरंभ हो गया है. सुबह और शाम को हल्की हल्की ठंड महसूस होने लगी है. रात को सोते समय पंखों का बंद होना भी शुरू हो गया है. सुबह के समय खेतों पर जाते हुए लोग गरम चादर ओढ़कर जाते हुए दिखने लगे हैं. मौसम परिवर्तन लोगों की 

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       इस उपरोक्त चित्र मे 2013 अगस्त मे जब                          आईएनऐक्स विक्रांत को समुद्र मे उतारा                            जा रहा था तो कौंग्रेस के रक्षामन्त्री श्री              ऐन्टोनी की पत्नी विक्रांत की पूजा करती 

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वक़्त भी किसी के रोके कहाँ रुक पाता है पर, हम रुकते हैं थामते हैं खुद को ........ 

एक लम्बे अरसे से आप का पाक्षिक अखबार ‘उत्कर्ष मेल’ डाक द्वारा प्राप्त हो रहा है और अच्छा लगता है जब विभिन्न आयोजनों की, पुस्तकों के लोकार्पण की सूचना के साथ समकालीन साहित्यिक सृजन से जुड़ने का अवसर मिलता है|

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कुछ पलछिन नैनों में बसे
कुछ भीतर-बाहर भाग रहे
कुछ अलमारी में छुप बैठे
कुछ मेरी खुली किताब बने
कुछ सावन की बन बदरी

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हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए
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।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍

10 टिप्‍पणियां:

  1. आज विश्व खाद्य दिवस है। किसी भी प्राणी को जीवित रहने के लिये भोजन चाहिए।
    कवियों ने भी भुखमरी पर खूब रचनाएँ लिखी हैं।
    आज भी इस विषय को प्रमुखता देना उनका दायित्व है।
    अपना देश भी कभी खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं रहा, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने " जय जवान जय किसान" का नारा दिया था। 60 के दशक में हरित क्रांति ने अपने देश में कृषि क्षेत्र में सुधार लाई । लेकिन, भुखमरी गयी नहीं है साथ ही युवावर्ग का रोजी-रोटी के लिये ग्रामीण क्षेत्रों से महानगर की ओर पलायन हो रहा है। अन्नदाता कर्ज में डूबकर आत्महत्या कर रहे हैं।
    सरकार उनकी समस्या ठीक से नहीं समझ पा रही है और जुमलेबाजी से किसानों का विकास हो रहा है। अतः स्थिति ठीक नहीं है।
    उल्लेखनीय है कि कांफ्रेस ऑफ द फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) ने वर्ष 1979 से विश्व खाद्य दिवस मनाने की घोषणा की थी। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व भर में फैली भुखमरी की समस्या के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ाना और भूख, कुपोषण और गरीबी के खिलाफ संघर्ष को मजबूती देना था। 1980 से 16 अक्टूबर को 'विश्व खाद्य दिवस' का आयोजन शुरू किया गया था।
    प्रस्तुति और लिंक्स प्रभावशाली हैं। सभी को सादर प्रणाम।

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  2. शुभ प्रभात..
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    सादर..

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  3. समकालीन विषयों पर आधारित रचनाओं से सजी आदरणीया पम्मी जी की सुन्दर प्रस्तुति। भूमिका में कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी की मनमोहक काव्य-पंक्तियाँ।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।

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  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार पम्मी जी।

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  5. शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार पम्मी जी !

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  6. बहुत सुंदर आगाज़ प्रस्तुति का।
    बहुत अच्छा अंक पम्मी जी।

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  7. बहुत सुंदर भूमिका और शानदार सूत्रों.से सजा आज का अंक बहुत अच्छा लगा पम्मी जी।
    सराहनीय प्रस्तुति।

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  8. वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति 👌
    सभी रचनाएँ लाजवाब,सब को ढेरों बधाई
    सादर नमन

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