---

शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2019

1540..जहाँ विश्वास है, वहाँ समर्पण लक्ष्य नहीं होता

स्नेहिल अभिववादन
---------------
बारिश की खूबसूरत लड़ियों
से श्रृंगारित  धरती की गोद में
इठलाती, बलखाती नदियाँ जब अपने तटबंधों को तोड़कर 
मानव बस्तियों की ओर मुड़ती है तो
विनाश का पर्याय बन जाती हैं। 
 प्रकृति के कोप के साथ अगर मानवीय
स्वार्थपरता का मेल हो जाये तो हम मात्र
 स्थिति की भयावहता का अंदाज़ा ही लगा सकते हैंं, पर जो लोग
बदबूदार,गंदले जलप्रलय की विभीषिका का दंश झेल रहे हैंं 
उनका दर्द समझ पाना नामुमकिन है।
बरसों से कतर-ब्योंत करके अपना आशियाना बनाने और सजाने 
वालों की आँखों.के सामने अपना सबकुछ नष्ट होता है तो 
देखकर भी कुछ न कर पाने की मजबूरी का 
एहसास कर पाना संभव नहीं।
हमारी संवेदना उनको कोई सहारा नहीं दे सकती हैंं।
उनतक मूलभूत सुविधाएँ सही तरह से पहुँच जाये
इस प्रयास में दिन-रात लगे मददगार अनाम
लोग एवं संस्थायें ये महसूस कराते हैं कि
संवेदनशीलता, दया
इंसानियत,मानवता,परोपकार जैसे शब्द आज भी निःस्वार्थ मन में धड़कते हैंं।

★★★★★


जड़ें तलाश रहींं अपनी ज़मीन


जिसके खौफ़नाक  झोंके से
उजड़ कर एक दिन
उड़ जाएंगे परिन्दे
मिट जाएंगे पर्वत ,
सूख जाएगी
संवेदनाओं की नदी ,
सूख जाएंगे सुनहरे ख्वाब
सूख जाएंगे भावनाओं के तालाब ,

★★★★★★

व्रत , उपासना , पूजा-अर्चना करना या ना करना उनकी व्यक्तिगत भावना और आध्यात्म से जुड़ाव की भावना है । रीति-रिवाजों के लिए जबरन विचार थोपे जाएँ तो यह अवश्य गलत होगा और इस तरह की बातों का विरोध भी पुरजोर होना चाहिए मगर स्वेच्छा से किये गए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कार्यों की आलोचना अनुचित है ।  हमारे विचार किसी दूसरे के विचारों से मेल खायें या नहीं खायें।

★★★★★


यशोधरा बन वह करती थी बुद्ध से सवाल
सिद्धार्थ बनकर रहने और जीने में,
क्या भय था ?
वह कौन सा ज्ञान था,
जो मेरे बनाये भोजन में नहीं था ?
वह मानती थी,
कि प्रेम समर्पण से पहले
एक विश्वास है,
और जहाँ विश्वास है,
वहाँ समर्पण लक्ष्य नहीं होता ।

★★★★★★★


हमारा पागलपन तुम देखो 
हर रोज़ नई चोट खाई है।

तमाम कोशिशें नाकाम रही 
क्या ख़ूब क़िस्मत पाई है। 

गुज़रे वक़्त के हर लम्हे ने 
रातों की नींद उड़ाई है। 

★★★★★★★

कजरौटा

कजरौटा सुनते सुनते उम्र का चक्कर बीता,
रो रो काजल माँ को कहती,
क्यों तुमने मुझे जन्म दिया है,
सबने मिलकर काजल को कजरौटा किया है।
माँ ने सदैव सिखाया बिटिया,
रंग रूप ढल जाए,
गुण कमाई ही सदा जग मे बाकी रह जाए।
काजल ने सबको अनसुना कर माँ की बात यह मानी,
खूब लगन से सभी परीक्षा अवल्ल दर्जे से उर्तीण की।

★★★★★★


और चलते-चलते पढ़िये


धूल धुएं और प्रदुषण के संजाल में फंसे हम लोग कुछ नहीं कर पा रहे - 
हर कोई यह कहता है कि मुझे इससे क्या, मेरे अकेले के करने से क्या होगा - इस वर्ष जो गर्मी पड़ी है उसका नतीजा हमने देखा है, इस जाते हुए  
मानसून में पानी की विभीषिका का तांडव हम देख ही रहें है तो 
क्या हमें थोड़ा रुक कर और ठहर कर नहीं सोचना चाहिए कि हम 
कहां जा रहे हैं त्यौहार सिर्फ बाजार की प्रतिस्पर्धा का त्यौहार ना बने, 
हम बाजार की कठपुतली ना बने, लुभावने आकर्षणों के लालच 
और दबाव में हम अपनी गरिमा और संस्कृति को ना खो दें

★★★★★★


आज की प्रस्तुति आप सभी को कैसी लगी?

आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की सदैव
प्रतीक्षा रहती है।

हमक़दम के लिये

यहाँ देखिए
कल का अंक पढ़ना न भूले कल आ रही हैं

विभा दी एक विशेष प्रस्तुति के साथ।
आपकी श्वेता

11 टिप्‍पणियां:

  1. गंभीर एवं सारगर्भित भूमिका के साथ विविध विषयक रचनाओं से सुसज्जित प्रस्तुति। बधाई।
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    #बाढ़ / #Flood ने देश के कई हिस्सों में आमजन का जीना दूभर कर दिया है। सरकार और प्रशासन से हमारी जो उम्मीदें होती हैं उन पर इन्होंने पानी फेर दिया है। फ़िलहाल तो चर्चा में पटना की बाढ़ / #PatnaFlood है जहाँ सरकारी सहायता से अधिक सक्रियता समाजसेवियों से दर्ज़ की है। ऐसे सहृदयी मानवता के पालक उन समस्त जनों को मेरा सलाम !

    जवाब देंहटाएं
  2. मनमोहक रचनाएँ..
    आभार पढ़वाई आपने..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. आप सब को बहुत बहुत धन्यवाद।सभी रचनाएँ अति सुंदर,👏👌

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रभावी भूमिका के साथ सुन्दर संकलन .. पटना का जन जीवन
    शीघ्रातिशीघ्र व्यवस्थित हो यही कामना है । मेरी रचना को प्रस्तुति में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सामायिक सार्थक भूमिका के साथ लाजवाब प्रस्तुति सभी रचनाएं बहुत सुंदर। रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  6. लाजवाब प्रस्तुति सभी रचनाएं बहुत सुंदर।प्रार्थना करती हूँ प्राकृतिक आपदा से पीड़ित जनमानस जल्द ही इस बिपदा से उबरे।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।