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गुरुवार, 1 अगस्त 2019

1476...ख़ुद से पूछें अब कहाँ पहुँच गये हम ?

सादर अभिवादन।

मंगल और चाँद पर पहुँच गये हम,
जल,धरा,नभ, अंतरिक्ष  में छाए हम,

थोड़ा और फैलाएँ  सोच का दायरा,
      ख़ुद से पूछें अब कहाँ पहुँच गये हम ?    

-रवीन्द्र 

आइये अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें -





हैं बैग में पर जेब में पैसे नहीं
नौजवाँ फ़ाँके करेगा क्या करेगी चांदनी

जो बचा था खून वो तो सब सियासत पी गई
खुदकुशी खटमल करेगा क्या करेगी चांदनी



Silkworm, Cocoon, Insect, Silk, Nature

आदमी रेशम के कीड़े से 
ज़्यादा लार टपकाता है,
पर न जाने क्यों 
मरते हमेशा दूसरे ही हैं,
वह ख़ुद साफ़ बच जाता है.





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जानता है सारी चाहते पूरी 
नही होती ज़िन्दगी में 
सारे हालातों से समझौते करता है,
समझौतों की फिराक में कभी
उबल ही जाता है 
मन ही तो है,



My photo

धरती तथा अन्य ग्रहों की सूर्य से दूरी का जो अनुमान उन्होंने लगाया था वह आधुनिक विज्ञान से मेल खाता है. इसी प्रकार जड़ी-बूटियों का ज्ञान उन्हें प्रयोगशाला में जाकर नहीं मन की शक्ति से ही हो जाता था. जब संसार का रचियता स्वयं मानव के इस मन में बैठा है तो भला यह सम्भव भी क्यों न होता.



आज आपके लिए प्रस्तुत है - दैनिक भास्कर DB स्टार भोपाल, मंगलवार, 30-07-2019 travel में प्रकाशित यात्रा वृत्तांत "काठमांडू की वादियों में बिताए सुकून के पल"






मुस्लिम महिलाओं की स्थिति को देखते हुए यह कहा जा रहा है कि अब उनकी स्थिति मजबूत होगी किन्तु अगर हम विधेयक की गहराई में जाते हैं तो साफ तौर पर पाते हैं कि ये मजबूती मुस्लिम विवाह को बुरी तरह से हिला देगी क्योंकि विपक्ष का विरोध जिस मुद्दे को लेकर था वह अब भी जस का तस है.
. विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा कि एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को आपराधिक कृत्य बनाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि इस प्रथा को उच्चतम न्यायालय ‘शून्य एवं अमान्य’ करार दे चुका है।


हम-क़दम का नया विषय

आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


11 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात....
    विविधताओं से परिपूर्ण प्रस्तुति..
    आभार...
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. संग्रहणीय प्रस्तुति, मेरी पोस्ट को स्थान् देने हेतु हार्दिक धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  3. अति सुंदर संकलन सह्रदय धन्यवाद मेरी रचना को एक कोना देने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  4. विविधरंगी विषयों पर लिखी रचनाओं की खबर देता सुंदर संग्रह, आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. उम्दा लिंक संकलन शानदार प्रस्तुति करण...

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय रवीन्द्र जी -- सार्थक और मर्मिक प्रश्न करती भावपूर्ण भूमिका के साथ बेहतरीन लिकं संयोजन ! कथित सभ्य समाज के बीच अत्यंत असभ्य और कुत्सित व्यवहार से यही प्रश्न मन को बेचैनी से भर देता है कि चाँद सूरज और मंगल जैसे ग्रहों को दुर्लभ लक्ष्य बनाने वाले मानव ने अपने नैतिक चरित्र की रक्षा क्यों ना की ? सभी रचनाकारों को सस्नेह शुभकामनायें | आपको हार्दिक बधाई | सादर

    जवाब देंहटाएं

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