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शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

1379.....कलम लिखने वाले की खुद ही फितूरी है

स्नेहिल अभिवादन
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सोचती हूँ किसको कहूँ
पत्थर यहाँ भगवान,
तुझको पत्थर कहते हुये
ख़ुद बुत बना इंसान।
हृदय संवेदनहीन है
न धरम कोई न दीन है,
बिक रहा बाज़ार में
 फर्ज़ और ईमान,
सोचती हूँ किसको कहूँ
पत्थर यहाँ भगवान।
★★★★★
आदरणीया शशि पुरवार जी

व्यर्थ कभी होगा नहीं, सैनिक का बलदान
आतंकी को मार कर, देना होगा मान२ 

चैन वहां बसता नहीं, जहाँ झूठ के लाल
सच की छाया में मिली, सुख की रोटी दाल३ 

लगी उदर में आग है, कंठ हुए हलकान
पत्थर तोड़े जिंदगी, हाथ गढ़े मकान४ 
★★★★★
आदरणीया सुधा सिंह "व्याध्र"

मेरी रगों में
लहू बनकर
बहने वाले तुम
ये तो बता दो कि
मुझमें मैं बची हूँ कितनी
तुम्हारा ख्याल जब - तब
आकर घेर लेता है मुझे
और कतरा - कतरा
बन रिसता हैं
मेरे नेत्रों से.
★★★★★★
चंद्रकांत देवताले

यदि मुझे औरतों के बारे में
कुछ कहना हो तो मैं तुम्हें ही पाऊँगा अपने भीतर
जिसे कहता रहूँगा बाहर शब्दों में
जो अपर्याप्त साबित होंगे हमेशा
★★★★★
अनिता सैनी

ज़िंदगी  के  लिए दौड़  रही  दुनिया 
वक्त , ज़िंदगी   का  निगल  गई 
तराजू  से  तौल  रहे  प्रीत 
ज़िंदगी ,  प्रीत   को    तरस  गई |
★★★★★
उलूक के पन्नों से
आदरणीय सुशील सर

कलम
लिखने वाले की
खुद ही फितूरी है

उलझ
लेते हैं फिर भी
पढ़ने पढ़ाने वाले 
★★★★★
आज यह अंक
आप सभी को.कैसा लगा?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की
सदैव प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम के विषय के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूले
कल आ रही हैं विभा दी 
अपनी विशेष प्रस्तुति के साथ।

12 टिप्‍पणियां:

  1. व्वाहहहहह
    ज़िंदगी के लिए दौड़ रही दुनिया
    वक्त , ज़िंदगी का निगल गई
    तराजू से तौल रहे प्रीत
    ज़िंदगी , प्रीत को तरस गई |
    बेहतरीन रचनाएँ पढ़वाई आपने...
    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन हलचल प्रस्तुति 👌
    सभी रचनाएँ शानदार, मुझे स्थान देने के लिए आप का तहे दिल से आभार प्रिय सखी
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. आभार श्वेता जी। सुन्दर सूत्रों के संकलन में 'उलूक' की बकबक को भी जोड़ देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह!!!श्वेता ,बहुत खूबसूरत प्रस्तुति । सभी रचनाएँ लाजवाब !!

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर शुक्रवारी संकलन, सदा की भांति।

    जवाब देंहटाएं
  6. बढ़िया संकलन प्रिय श्वेता

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन संकलन
    साधुवाद
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. ब्यर्थ नहीं होगा किसी सैनिक का वलिदान।सही लिखा आपने।सभी रचनाएँ अति सुन्दर और सराहनीय हैं।सादर। ं

    जवाब देंहटाएं
  9. लाजवाब शानदार रचनाओं का संग्रह ,धन्यवाद आपका

    जवाब देंहटाएं
  10. शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...

    जवाब देंहटाएं

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