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बुधवार, 27 मार्च 2019

1349.. चुपके से आकर खड़ी हो जाती है ज़िंदगी..





।।प्रात:वंदन।।

हँस देता जब प्रात, सुनहरे 
अंचल में बिखरा रोली,
लहरों की बिछलन पर जब 
मचली पड़तीं किरनें भोली,
तब कलियाँ चुपचाप उठाकर पल्लव के घूँघट सुकुमार,
छलकी पलकों से कहती हैं ’कितना मादक है संसार’!
महादेवी वर्मा  
उपर्युक्त कालजयी रचना के साथ 
आज की लिंकों में शामिल रचनाकारों के नाम क्रमानुसार पढ़ें..✍



आदरणीय एम.वर्मा जी,

आदरणीय अरुण साथी जी,
आदरणीया अनिता सैनी जी,
आदरणीया अनुराधा चौहान जी,
आदरणीय ज्योति खरे जी

🔸🔸🔸


धूप में देखिये पसीना सुखाने आया है

खंजरों को वह जख्म दिखाने आया है


नींद में चलते हुए यहाँ तक पहुंचा है

लोगों को लगा कि राह बताने आया है
🔸🔸🔸



चोरी करने की अपनी अद्भुत प्रतिभा के दम पर देशभर में दोनों की बड़ी ख्याति थी। कहा जाता है कि दोनों चोर अपने पेशे में इतने माहिर थे की किसी के आंख..
🔸🔸🔸



बन मधुमास  मिलेंगे दोबारा 
लौटेगें   हसीं  ख़्वाब, नक्षत्र बन 
चमकेगा सौभाग्य का सितारा 



हृदय में उमड़े स्वप्न गूँथू 

दमकना जिंदगी तुम दुल्हन बन के 
अस्तित्व अपना जताने उठाना 

🔸🔸🔸



कब चुपके से आकर
खड़ी हो जाती है ज़िंदगी
 मौत के किनारे पर
तब इंसान बेबस
 होकर रह जाता है
जाने वाला कब चुपचाप से


🔸🔸🔸



फागुन की
समेटकर बैचेनियां
दहक रहा टेसू 
महुये की
दो घूंट पीकर
बहक रहा टेसू---

सुर्ख सूरज को

चिढ़ाता खिलखिलाता
प्रेम की दीवानगी का
रूतबा बताता

🔸🔸🔸
हम-क़दम का नया विषय

यहाँ देखिए
🔸🔸🔸
।।इति शम।।

धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍

7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    नमन महामही महादेवी जी को..
    एक सही व सटीक प्रस्तुति..
    आभार..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन हलचल प्रस्तुति 👌
    शानदार रचनाएँ |मुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीया पम्मी जी
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर हलचल प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार पम्मी जी

    जवाब देंहटाएं
  4. वाहह्हह.. सराहनीय भूमिका और लिंको से सजा सुंदर अंक है। सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी👍👍

    जवाब देंहटाएं
  5. शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा पठनीय लिंको का संकलन....

    जवाब देंहटाएं

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