---

बुधवार, 8 अगस्त 2018

1118..किंजल्क किरण बिखरी है..

।।प्रातः वंदन।।
किंजल्क किरण  बिखरी है आज
🍃
नमन  है..
 भारत के बहुमूल्य रत्नों में से एक अमूल्य रत्न राष्ट्रगान  के रचनाकार , बांग्ला कवि,
साहित्यकार,चित्रकार ,दार्शनिक ,नोबेल पुरस्कार से सम्मानित
 गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगौर जी को विनम्र श्रद्धांजलि..

"बर्तन में रखा पानी चमकता है समुद्र का पानी अस्पष्ट होता है लघु सत्य स्पष्ट शब्दों से 
बताया सकता है,महान सत्य मौन रहता है।"
(७ मई१८६१  -  ७अगस्त १९४१)
रवीन्द्र नाथ टैगोर
🍃
भारतीय साहित्य का प्रथम हायकु आदरणीय गुरूदेव जी द्वारा..

पुरोनो पुकुर
ब्यांगेर लाफ
जलेर शब्द

(हिंदी अनुवाद)
पुराना तलाब
मेंढक की कूद
पानी की आवाज

पचा डाल
एकटा को
शरत्काल

(हिंदी अनुवाद)
सूखी डाल
एक कौआ
शरद काल
🍃
अब रूख करते आज की प्रस्तुति पर जो कई कोणों से ली गई है..✍
एहसास ... जी हाँ ... क्यों करें किसी दूसरे के एहसास की बातें, जब की खुद का होना भी बे-मानी हो जाता है कभी कभी ... अकसर ज़िन्दगी गुज़र जाती है खुद को चूंटी काटते काटते ... जिन्दा हूँ तो उसका एहसास क्यों नहीं ... 
🍃
उनसे मैं बहुत डरता हूं जो वक़्त पड़ने पर गधे को भी बाप बना लेते हैं। इसमें दो-तीन समस्याएं हैं-
🍃
पेशानी मेरी, लंबी लकीरों से सजाते,
वक्त से पहले ही, मुझे बूढ़ा बनाते,

मेरे भीतर , ईर्ष्या - द्वेष  जगाते,
मुझे अक्सर, गलत पथ पर दौड़ाते,

रचते  साजिश सदा,
मेरे स्वजनों को, मुझसे दूर करने की
मेरे उसूलों से, मुझे डगमगा देने की
🍃
मन एकदम्मे कछमछा रहा है। कई बार लिखा और मिटा दिया। राजनीति और धर्म पे नहीं लिखने 
का सोंच रखा है। बेकार में तनाव हो जाता है।
खैर! दलित एक्ट, पूण्य प्रसून, मुज़्ज़फरपुर बालिका गृह, एनआरसी आसाम!! देश में अकबकाट जैसा 
लगता है। सोशल मीडिया गंभीर विषयों के विमर्श का मंच नहीं रहा। यहाँ बस "गाय का सिंग बैल में अउ 
बैल का सिंग गाय में" (गौ रक्षा दल के लिए माफी यह एक देहाती कहावत है, समझ न आये तो किसी..
🍃
शख़्स जो डगमगा नहीं सकते
अस्ल रस्ते पर आ नहीं सकते

ज़िन्दगी इक हसीन गीत है गो
लोग पर गुनगुना नहीं सकते
🍃
आप सभी पढेंं और विचारों को अभिव्यक्त करें..
और देखें सप्ताह का विषय
यहाँ देखिए...........


आज ..बस यही तक..
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह..✍



14 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात पम्मी सखी
    उचित समय पर उचित बातें
    ये तो पठन-पाठन के बिना असम्भव है
    आभार,
    सही व सधी हुई रचनाओँ के लिए
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!!बहुत सुंदर प्रस्तुति ।सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  4. वआआह...
    बेहतरीन प्रस्तुति...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह्ह...बहुत सुंदर भूमिका पम्मी दी,
    गुरुदेव को शत्-शत् नमन।
    उनका लिखा गीत "जदि तोर डाक शुने केऊ न आसे तबो एकला चलो रे" मुझे सदैव प्रेरित करता है।
    बेहतरीन रचनाओं से सजा बेहद सुंदर संकलन के लिए आपको बधाई और सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  6. किंजल्क किरण! वाह! किंजल्क अथवा किंजल का अर्थ भी इसी बहाने जान लिया। बहुत शिक्षाप्रद प्रस्तुति!आभार एवं बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर हलचल ...
    आभार मेरी रचना को जगह देने में लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  8. पम्मी जी बहुत ही सुंदर प्रस्तुति है आज की

    जवाब देंहटाएं
  9. शुभदोपहर.....
    बहुत सुंदर.....
    ाआभार आदरणीय आप का.....

    जवाब देंहटाएं
  10. गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगौर को सादर नमन।
    सुन्दर प्रस्तुति के लिये आदरणीया पम्मी जी को बधाई।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  11. सुंदर प्रस्तुति। बढ़िया पठनीय रचनाओं के लिंक्स संजोकर हम तक पहुँचाने के लिए आभार आदरणीया पम्मी जी।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।