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बुधवार, 29 मार्च 2017

621...अंत:विषय दृष्टिकोण क्या तुमको नहीं आता है

सादर अभिवादन
नव वर्ष की शुभकामनाएँ
हम शहर से बाहर हैं आज भी
सोचा, भाई कुलदीप जी को फोन कर दिया जाए
पर देवी जी लैपटॉप हाथ में देकर यह इशारा कर चली गई
मुझे तीन घण्टे लग जाएँगे..तब तक आप टॉईम पास कीजिए

सो...टॉईम पास की उपलब्धियाँ.....
अब नहीं होती उसकी आँखे नम जब मिलते हैं अपने
अब नहीं भीगतीं उसकी पलके देखकर टूटते सपने।

अब नहीं छूटती उसकी रुलाई किसी से उल्हानों से
अब नहीं मरती उसकी भूख किसी के भी तानो से।

उभरती हैं कुछ डूबती यादें, 
संग ए साहिल की तरह, 
कुछ उजले - उजले से हैं, 
भूले - बिसरे चेहरे, 
कुछ मद्धम - मद्धम , 
मीठे दर्द ए दिल की तरह। 

आदित्यनाथ ने सचमुच ‘योगी’ की तरह सरकार चला दी तो ???
आखिर एक योगी भ्रष्ट राजनीति और राजनेताओं की कतार में बैठना क्यूँ पसंद करेगा? राजनीति को रामनीति बनाकर योगी ही प्रदेश, देश की दिशा बदल सकता है. योगी आदित्यनाथ ऐसा कर पाएँगे, ये उम्मीद रखी जा सकती है, क्योंकि सत्ता में आने के दिन से ही योगी आदित्यनाथ ने अपनी सकारात्मक सोच को क्रियान्वित करना शुरू कर दिया है !

बहुत ही करीब से गुजर रही थी जिंदगी,
कितना कोलाहल था उस पल में,
मगर बेखबर हर कोलाहल से था वो पथिक,
धुन बस एक ही ! अपने मंजिल तक पहुचने की!


आज खुद को गले
लगा कर सोने को
जी करता है ,
अपने कंधे पर
सर रख कर
रोने को
जी करता  है ,

बस थोड़ी देर और ये नज़ारा रहेगा
कुछ पल और धूप का किनारा रहेगा

हो जाएँगे आकाश के कोर सुनहरे लाल
परिंदों की खामोशी शाम का इशारा रहेगा

सबसे विकराल प्रश्न जो उसके नन्हे से मस्तिष्क को विचलित कर रहा था वह यही था कि इतने बड़े संसार में अपनी अबोध बहन के साथ वह जीवित कैसे रहेगा !


इसमें वो 
बिल्कुल भी 
नहीं किया 
जाता है
तुमको अच्छी 
तरह से 
जो आता है 
और दूसरा 
उसको 
अच्छी तरह 
से समझ 
जाता है 
...
चलिए दोनों का काम हो गया...
करें वापसी सफर की तैय्यारी
आज्ञा है न दिग्विजय को
सादर





10 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर प्रस्तुतीकरण
    रब हमेशा सब ठीक रखे

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  2. बहुत ही सुन्दर । यह यात्रा यूँ ही जारी रहे। मेरी कविता को शामिल करने के लिए शुक्रिया । आप सभी मेरे ब्लॉग purushottamjeevankalash.blogspot.com पर भी आमंत्रित हैं

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर संकलन है। मेरी रचना शामिल करने के लिए हृदय से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. आज की हलचल में खूबसूरत सूत्रों का खुशबूदार गुलदस्ता ! मेरी लघु कथा को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार दिग्विजय जी !

    जवाब देंहटाएं
  5. वापसी के सफर के लिये फिर मंगलकामनाएं। आज के निखरे हुए अंक में 'उलूक' के सूत्र की चर्चा करने के लिये आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. शुभप्रभात... सुंदर संकलन...
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. सही मायने में समय का सदुपयोग किया है आपने
    आभार...
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
    सबको गुड़ी पड़वा- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  9. पठनीय संकलन।मेरे लेख को शामिल करने के लिए धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

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