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शनिवार, 28 जनवरी 2017

561 .... यक्ष प्रश्न



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यथायोग्य सभी को
प्रणामाशीष


राष्ट्रिय बालिका दिवस और गणतंत्र दिवस आयोजन आस-पास था
संविधान सशक्त है .... तो .... बालिका अशक्त क्यों है



यक्ष प्रश्न है



जो है, उसका होना सत्य है,
जो नहीं है, उसका न होना सत्य है ।
मुझे लगता है कि
होना-न-होना एक ही सत्य के
दो आयाम हैं,
शेष सब समझ का फेर,
बुद्धि के व्यायाम हैं ।



यक्ष प्रश्न है



जूझती बैसाखियों पर मौत लादे प्रश्नहीन

मूर्त्त जीवट स्वयं, निस्पृह लोग ये कायर नहीं

प्रश्न-उत्तर, लाभ की संभावनाओं से परे

अर्थवेत्ता-प्रबन्धक कोई अत: तत्पर नहीं




यक्ष प्रश्न है



उत्तर की अभिलाषा
सुदूर पूर्व से उगने वाले सूरज के साथ
उगती और सुदूर पश्चिम में नष्ट हो जाती
रोज दर रोज
मन की विकलता
अधीरता
और आक्रोश




यक्ष प्रश्न है




यदि दे भी पाओ ये,
तो क्या किसी याचक को
दे दोगे अपनी साधना सम्पूर्ण ?
क्या पाल पाओगे प्रण अपना
मूल्य पे अपने प्राणों के
कर्ण की भाँति ??




यक्ष प्रश्न है




बस, अब एक ही बात कहता हूँ कि मेरा भारत जैसा भी है,
वैसा ही बढ़िया. कौन जरुरत है इन सब नौटंकियों की.
सायरन तो कोई सड़क पर से निकलता हुआ ट्र्क भी बजा देगा
मगर पड़ोसी, वो अब कहाँ निकलते हैं सायरन सुन कर.
बल्कि वो तो यह सुनिश्चित करने में जुट जायेंगे कि
उनका घर ठीक से बंद है कि नहीं...
बाकी खिड़की से झांक कर मजा
तो पूरा ले लेंगे आपको लुटता देखने का

<><>


परेशान होने की जरूरत नहीं
आदत भी होती है कोई चीज
कुछ सवाल समय बीतने के साथ खत्म हो जाते हैं बिना उत्तर

फिर मिलेंगे ....... तब तक के लिए

आखरी सलाम


विभा रानी श्रीवास्तव






7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    जो है,
    उसका होना सत्य है,
    जो नहीं है,
    उसका न होना सत्य है ।
    बहुत खूब
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात आंटी सुंदर संकलन मन प्रसन्न होता है आप की प्रस्तुति पढ़कर कभी भी निराशा नहीं हुई आपकी प्रस्थिति ना देखकर आप इतनी लगन से प्रस्तुति बनाते हैं ना कभी प्रस्तुति बनाना भूलते हैं और ना ही कभी अनुपस्थित रहते हैं कोटि कोटि नमन आपको

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत कुछ आपसे ग्रहण करने की कोशिश करती रही ..... हौसला बढ़ाने का आभार
      सस्नेहाशीष शुक्रिया

      हटाएं

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