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शुक्रवार, 23 दिसंबर 2016

525..कुछ करने वाले खुद नहीं लिखते हैं अपने किये कराये पर किसी से लिखाते हैं



दिसम्बर का बाईसवाँ दिन..

आज फिर मेरी बारी
पता नहीं क्यों...अच्छा भी लगता है
पर कभी-कभी नाराजगी भी होती है
अक्सर आनन्द ही आता है.....


यूँ तो शिकायतें तुझ से सैंकड़ों हैं मगर ,

तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये..

देखिए आज की ब्लॉग परिक्रमा......


सारा जहाँ उनका है अपना
कोई नहीं है सीमा बंधन
उन्होंनें तय किया है कैसे
पूछा नहीं परिंदो से

टूटे हुए किवाड़ सभी खिड़कियाँ खुली
बिटिया के सब दहेज़ का सामान तो गया

कर के हलाल दो ही दिनों में मेरा बजट
अच्छा हुआ जो घर से ये मेहमान तो गया 

सुबह गाड़ियों के हॉर्न की आवाज़ों से नींद बहुत जल्दी खुल गई 
ये सब सुबह टाइगर पॉइंट पर जाने वाली गाड़ियाँ थीं जो 
कंचनजंघा पर सूर्योदय देखने जा रही थीं। हमने भी टैक्सी की बात की थी तो ड्राइवर ने कहा कोई फायदा नहीं है साब सुबह बादल हो जाते हैं कुछ दिखाई नहीं देता क्यों अपनी नींद ख़राब करते हैं। यह सुन कर हमने जाने  इरादा बदल दिया था पर अब नींद खुल ही गई थी और खिड़की से कंचनजंघा की चोटी दिख ही रही थी

करप्शन की गंगोत्री राजनीति से निकलती है, अब तो मान लीजिए...! - पुण्य प्रसून बाजपेयी
हफ्ते भर पहले ही चुनाव आयोग ने देश में रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों की सूचीजारी की। जिसमें 7 राष्ट्रीय राजनीतिक दल और 58 क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का जिक्र है। लेकिन महत्वपूर्ण वो सूची है, जो राजनीतिक तौर पर रजिस्टर्ड तो हो चुकी है और राजनीतिक दल के तौर पर रजिस्टर्ड कराने के बाद इस सूची में हर राजनीतिक दल को वह सारे लाभ मिलते है जो टैक्स में छूट से लेकर। देसी और विदेशी चंदे को ले सकते हैं। बीस हजार से कम चंदा लेने पर किसी को बताना भी नहीं होता कि चंदा देने वाला कौन है। और इस फेहरिस्त में अब जब ये खबर आई कि चुनाव आयोग 200 राजनीतिक दलों को अपनी सूची से बाहर कर रहा है।


आवाज़... करुणा सक्सेना
एक दिन
उम्र के ढलते पड़ाव पर
कुछ ठिठक कर
देखा मैंने मुड़कर
कई आवाज़ें खड़ी कतारबद्ध
बुला रहीं थीं मुझे...

ऐसा वर चाहिए…ज्योति देहलीवाल
''आंटी मुझे ऐसा वर चाहिए,
जो पर्सनैलिटी में सलमान जैसा हो, परफेक्टनेस में आमिर जैसा हो, सूरत में अभिषेक बच्चन जैसा हो, स्ट्रॉंगनेस में सनी देओल जैसा हो और कॉमेडियन कपिल शर्मा जैसा हो। 


और आज का शीर्षक
‘उलूक’ के लिखे को 
ना ये पढ़ते हैं 
ना वो पढ़ते है 
करने वालों के 
करने का लिखना 
तू जा कर पढ़ना 
कुछ नहीं करने वाले से 
तुझे क्या लेना देना 
उसे लिखने दे ना 

आज सुबह दस से शाम पाँच तक
बिजली बंद थी..
और मैं बना बैठा रहा
उसके आने की ताक में
आज्ञा दें अब
दिग्विजय को...



















8 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर हलचल दिग्विजय जी। 'उलूक' के सूत्र 'कुछ करने वाले खुद नहीं लिखते हैं अपने किये कराये पर किसी से लिखाते हैं' को स्थान देने के लिये आभार।

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  2. शुभप्रभात....
    सुंदर संकलन....
    आप जब आते हैं....
    कुछ नया लगता है...
    हमारी प्रस्तुतियां तो आम बात है....
    आभार सर आप का...

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह आज का संकलन भी कमाल है .... आभार मुझे शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही शानदार हैं | Thanks for sharing

    जवाब देंहटाएं

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