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गुरुवार, 24 नवंबर 2016

496...चौदह दिन बाद दर्द और बढ़ता जा रहा है....


जय मां हाटेशवरी...

कल सुबह टीवी के एक चैनल पर   महाभारत देख रहा था...
चैनल बदला तो...निउज़ चैनल पर...
पाकिस्तान की एक और...हरकत सुनाई दी....
मैं सोचने लगा...काश पाकिस्तान वाले भी....
महाभारत से....कुछ शिक्षा ले पाते...
पर महाभारत व रामायण को तो...
धार्मिक ग्रंथ समझकर सीमित कर दिया है...
पर ये ग्रंथ...मानव जाती को रास्ता दिखाने के लिये रचे गये थे...
कहते हैं न...
...जब काल मनुज पर आता है...
...पहले विवेक मर जाता है...
अब पेश है...आज की चुनी हुई रचनाएं....

आँखें हँस दीं दिल रोया, यह अच्छी बरसात मिली...-
टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली
जितना-जितना आँचल था, उतनी ही सौगात मिली
रिमझिम-रिमझिम बूँदों में, ज़हर भी है और अमृत भी
आँखें हँस दीं दिल रोया, यह अच्छी बरसात मिली

पीले पत्ते............. निशा माथुर-
नई-नई कोंपलों को भी जीवन देते हैं
आंख से मोती बनके टूट बिखर जाते हैं
कुछ ऐसा जिंदगी का इम्तेहान देते हैं
मर के अपनी हस्ती को हौंसला देते है
जब कभी शजर का साथ छोड़ देते हैं
वजूद को लोगों के पैरों में दबा देते है

Hindi English Text to Speech Online Tool-
Text to Speech की जरूरत हमे तब पड़ती है. जब हमे किसी Text को MP3 में बदलना होता है. Text को Mp3 में बदलने का इस्तेमाल सबसे ज्यादा DJ Songs बनाने में किया
जाता है. आप में से बहुत से लोगो ने ऐसे Songs सुने होंगे। जिनके बिच बिच में नाम आते रहते है. DJ Name Songs बनाना बहुत ही आसान है. इस से  जुडी एक पोस्ट मैं
अपने इस ब्लॉग पर दे चूका हु.

चौदह दिन बाद दर्द और बढ़ता जा रहा है....
बैंकों के पास नकदी का संकट बरकरार जो लोग ये कह रहे हैं कि बैंक की लाइनें छोटी हो रही हैं वे पूरा सच नहीं देख पा रहे हैं।  दिल्ली के दिलशाद गार्डन इलाके में मृगनयनी चौक पर एक साथ छह बैंकों की शाखाएं हैं। वहां हर बैंक में हर रोज लाइन लंबी हो रही है। बैंकों से माइक लगाकर उदघोषणा की जा रही है कि नकदी खत्म हो गई है, पैसा आएगा तब मिलेगा। शहर लेकर गांव तक लोग परेशान हैं। आप उन ग्रामीण क्षेत्रों तक जाकर देख नहीं पा रहे हैं जहां 40 गांव के बीच एक बैंक की शाखा है। लोग कई किलोमीटर चल कर बैंक पहुंच रहे हैं। लंबी लाइनें लगी हैं। और बैंक के बाहर बोर्ड लटका दिया जाता है कि नकदी नहीं है। हमारे एक वरिष्ठ पत्रकार मित्र लिखते हैं कि बैंक के अधिकारी करेंस चेस्ट से 25 लाख मांग करते हैं तो 5 लाख मिल रहे हैं वह भी दो दिनों में। लोगों की जितनी जरूरत है उसका 10 फीसदी पैसा भी नहीं पहुंच पा रहा है। आखिर कैसी तैयारी थी सरकार की।


होना तो यही चाहिये..
-हाँ,...आगे तो सुनो-- उसने "मैं अन्ना हूँ" वाली टोपी लगा रखी थी ..
-ओह ! फ़िर ?
-तभी सड़क के किनारे से लाठी टेकते हुए एक दादाजी धीरे-धीरे चलकर उस के पास आये और उससे कहा-"बेटा अभी तो लाल बत्ती है ,तुम कितना आगे आकर खड़े हो".
-फ़िर ?
-....उस लड़के ने हँसते हुए मुँह बिचका दिया जैसे कहा हो -हुंह!!
- ह्म्म्म तो ?

-फ़िर वो दादाजी थोड़ा आगे आए ,अपनी लकड़ी बगल में दबाई और दोनों हाथों से उसके सिर पर पहनी टोपी इज्जत से उतार ली ,झटक कर साफ़ की और उससे कहा - इनका नाम क्यों खराब कर रहे हो? और टोपी तह करके अपनी जेब में रख ली........और मैं जोर से चिल्ला उठी -जे SSSS ब्बात........


आज बस इतना ही...
धन्यवाद।











3 टिप्‍पणियां:

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