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सोमवार, 31 अक्टूबर 2016

472...स्वर्ण-पंख वाली करधनियाँ पहन लीं मुँडेरों ने

आज ही असली दीवाली..
हार्दिक शुभ कामनाएँ
आज गोवर्धन पूजा भी है
भगवान को छप्पन भोग लग रहा है

बिना देर किए चलिए चले चुनी हुई रचनाओं की ओर...

मावस है स्वर्ण-पंख वाली
करधनियाँ पहन लीं मुँडेरों ने


यादें......मीना भारद्वाज
सुरमई सांझ, सोने सी थाली सा ढलता सूरज
तरह-तरह की आकृतियों से उड़ते पंछी
घरों से उठता धुँआ,
चूल्हों पे सिकती रोटियों की महक
गलियों में खेलते बच्चे
माँ की डाँट, खाने की मीठी मनुहार


तो ऐ दीये ...........अमृता तन्मय
तुम्हारे हृदय में भी
आग तो सुलगती होगी
चेतना की चिंगारी
अपने चरम को
छूना चाहती होगी



आत्मज्योति से मने दिवाली.....भारती दास
अंधकार का ह्रदय चीरकर
दीये जले हैं प्रेम से भरकर
सघन निशा को तार-तार कर
फैला प्रकाश पंख को पसारकर.


तुम्हारे नाम.......गिरिजा कुलश्रेष्ठ
द्वार-देहरी जलता जो ,
हर दीप तुम्हारे नाम है .
अन्तर्मन से निकला जो ,
हर गीत तुम्हारे नाम है .

आज्ञा दे दें यशोदा को
बिना देरी किए,,
सादर

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति यशोदा जी । सभी को गोवर्धन की शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभप्रभात...
    सुंदर प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर दीपमय हलचल प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ प्रभात!सुन्दर प्रस्तुतीकरण।

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

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