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मंगलवार, 28 जून 2016

347...झूठ सारे सोने से मढ़ कर सच की किताबों पर लिख दिये जायें

सादर अभिवादन
आज भाई कुलदीप जी कार्यालय के काम से
शहर से बाहर हैं
आज पढ़िए मेरी पसदीदा रचनाएँ...


जब भी जुनून ले के कोई जिद से डट गया
ये देखो आसमान तो सपनों से अट गया

आकर करीब देखा तो जलवा सिमट गया
"कैसा था वो पहाड़ जो रस्ते से हट गया"

बधाइयाँ स्वीकारिए
पार्टी दीजिए
** सुप्रभात मंच** बिहार शाखा का गठन
मुझे पूर्ण विश्वास है कि विभारानी श्रीवास्तव जी के 
नेतृत्व में यह संस्था हिन्दी साहित्य के प्रति 
निष्ठा से कर्तव्य का पालन करेगी ।
-सुरेशपाल वर्मा जसाला

हर दिन ,हर वक़्त 
हर पल ,हर सेकंड 
कोई न कोई खबर आती है 
मरने की  ... 
मैं भी तो हर रोज़ मरती हूँ 



राशिदा और दानिश बहन भाई थे| उनकी गोलट शादी रौनक और इमरान के साथ हुई थी| समय के साथ राशिदा के दो बच्चे हुए किन्तु रौनक माँ न बन सकी| इसी कारण दानिश ने रौनक को तलाक दे दिया था और वह मायके आ गई थी| भाई दानिश के इस कदम से राशिदा पर आफत आ गई|


किसलय का डोलता अंचल ,
नदी पर गहरी स्थिर लहरें चंचल
झींगुर की रुनक झुनक सी नाद ...
करती  हैं कैसा संवाद
पग  धरती विभावरी ,
धरती श्यामल शीतलता  भरी,

और चलते-चलते पढिए ये शीर्षक रचना....
जमाने से सड़ गल गये 
बदबू मारते कुछ 
कूड़े कबाड़ पर अपने 
इत्र विदेशी महंगी 
खरीद कर छिड़की जाये 
मैय्यत निकलनी चाहिये थी 

दें इज़ाज़त दिग्विजय को
सादर



4 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर मंगलवारीय हलचल । आभार 'उलूक' के सूत्रों में से कुछ पुराने कूड़े को आज की हलचल में जगह देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभप्रभात....
    सुंदर संकलन....

    आभार सर आप का....

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति ..

    जवाब देंहटाएं

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