---

सोमवार, 27 जून 2016

346....राजधानी वापस चले जाना आँख मूंद कर सो जाना

सादर अभिवादन
यूँ ही.....कुछ रद्दी पेपर का
व्यवस्थापन कर रही थी
एक कीमती अखबार का पन्ना
हांथ लग गया..
आप भी देखिए उस पन्ने की कतरन...


रिम झिम बारिश
का रूठ जाना
बादल का फटना
एक गाँव का
बह जाना
आपदा के नाम
पर पैसा आना
अखबार के लिये
एक खबर बन जाना


श्यामनन्दन किशोर...
चमड़ी मिली खुदा के घर से
दमड़ी नहीं समाज दे सका
गजभर भी न वसन ढँकने को
निर्दय उभरी लाज दे सका

शान्तनु सान्याल...
न उसकी ख़ता, न कोई जुर्म था मेरा,
आग की फ़ितरत है लपकना, सो
जिस्म ओ जां सुलगा गया।
यूँ तो ज़िन्दगी थी
अपने आप में
ख़ुशहाल


मालती मिश्रा...
हम नभ के आज़ाद परिंदे
पिंजरे में न रह पाएँगे,
श्रम से दाना चुगने वालों को
कनक निवाले न लुभा पाएँगे।

सुषमा वर्मा...
जब तुम जा रहे थे,
मैं भी तुम्हारी आँखों में कुछ ढूंढ रही थी,
जो कभी मेरे लिये हुआ करता था....
जिसे महसूस करके,
मैंने जिंदगी के तमाम ख्वाब बने थे...


ऊपर पाँच रचनाओं के सूत्र तो जुड़ गए...
खुशकिस्मत रचनाओं के सूत्र भी है
जो एक बार चर्चा में आ चुकी है
और दुबारा आने को बेताब है...
नीचे दे रही हूँ..

रेवा टिबड़ेवाल..
हर सुबह करवाता
तू मुझसे कितनी मनुहार
कभी गुस्से मे
गुमा देता बाँसुरिया अपनी
कभी कानों के कुण्डल पर
खड़े हो जाते सवाल ,


सुमन....
एक हद तक
जीये जा सकते हैं सब सुख
एक हद तक ही
सहा जा सकता है कोई दुख
सरल सी चाही हुई जिंदगी में
मिलती हैं कई उलझने
बेहिचक बदल देते हैं हम रास्ता
मनचाहे को पाने के लिए


आज्ञा दें यशोदा को...
बुध को फिर मिलेंगे














6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर सोमवारीय प्रस्तुति । आभार यशोदा जी 'उलूक' की छ: वर्ष पुरानी 'आपदा' पर नजर डालने के लिये और आज की हलचल में जगह देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. भैय्या जी
      ये आपदा तो हर वर्ष आती है
      इन्तजार करते है करने वाले
      इसी आपदा का
      हवाई सैर के वास्ते
      अभिवादन सहित
      सादर

      हटाएं
  2. सुप्रभात
    सादर प्रणाम
    सुन्दर
    मानसरोवर के मोती चुग लाए हो
    चमड़ी मिली खुदा के घर से
    दमड़ी नहीं समाज दे सका
    गजभर भी न वसन ढँकने को
    निर्दय उभरी लाज दे सका

    जवाब देंहटाएं
  3. बढ़िया हलचल प्रस्तुति
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति यशोदा जी सभी कृतियाँ बहुत ही उम्दा हैं, धन्यवाद आजाद परिंदे को शामिल करने के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति यशोदा जी सभी कृतियाँ बहुत ही उम्दा हैं, धन्यवाद आजाद परिंदे को शामिल करने के लिए।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।