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सोमवार, 6 जून 2016

325....कैसी व्यथा लिखा के लायी ,अपनी मांगभराई में

सादर अभिवादन
अभी- अभी एक रचना पढ़ी
हरे रंग के बच्चे
और शुद्ध शाकाहारी..
किसी दूसरे लोक से थे वे..

ज़रा पता तो लगाइए..


वूलपिट के हरे बच्चे
बारहवीं सदी में इंग्लैंड के वूलपिट शहर में दो बच्चे - एक भाई एक बहन न जाने किसी अनजान जगह से आये. वो देखने में तो सामान्य बच्चों जैसे दिखते थे लेकिन उनका रंग हरे रंग जैसा था. वो सिर्फ कच्चे बीन्स खाते और उनके माता पिता का कोई पता नहीं चला. वो एक दूसरी अजीब भाषा में बात करते थे.


दिल के बदले दिल चाहिये
हमको सौदा खरा चाहिये

मुश्किल नहीं है बहुत
हमको रिश्ता सगा चाहिये


संगीता जांगीड़....
ये सच हैं कि तुम कहते कुछ नहीं
लेकिन
घुमा फिरा कर आग ही तो उगलते हो
जानते हो तुम ?
उस आग में
झुलस जाती हूँ मैं
और फिर...
अपने फंफोलों को सहलाते सहलाते
मैं फिर कुछ रच देती हूँ



'मृत्यु'
मैं लिखूंगा एक नज्म तुम पर भी, 
और 
अगर न लिख पाया तो न सही 
कोशिश तो होगी ही
तुम्हारे आगमन से
जीवन के अवसान में 
शब्दों के पहचान की!!


साधना वैद..
पेड़ है कटा
अतिक्रमण हटा
बेघर पंछी !

क्रूर मानव
हृदयहीन सोच
पंछी हैरान


ये है आज की शीर्षक रचना...

सतीष सक्सेना..
कहीं क्षितिज में देख रही है
जाने क्या क्या सोंच रही है
किसको हंसी बेंच दी इसने
किस चिंतन में पड़ी हुई है
नारी व्यथा किसे समझाएं, गीत और कविताई में !
कौन समझ पाया है उसको, तुलसी की चौपाई में !

आज्ञा दे यशोदा को
एक अजूबा हमनें पढ़ा...कि कोई और लोक भी है
और एक अजूबा ये भी..
क्या एक मकड़ी सांप को पी सकती है..
खुद ही देख लीजिए..







6 टिप्‍पणियां:

  1. उत्कृष्ट सूत्रों से सुसज्जित आज की प्रस्तुति ! सभी रचनाएं अत्यंत आनंदवर्धक !
    मेरी अभिव्यक्ति ' कटा पेड़ ' को सम्मिलित करने के लिये आपका हार्दिक आभार यशोदा जी !

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर प्रस्तुति । मकड़ी साँप पी गई गजब ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुभ प्रभात भाई
      जी भाई...
      और इसी मकड़ी को
      कैंसर की दवा बनाने के लिए उपयोग में
      लाने की खोज जारी है
      सादर

      हटाएं
  3. बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर प्रस्तुति.... मेरी रचना को स्थान देने के लिये धन्यवाद 🙏🏼

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुभ प्रभात संगीता बहन
      रोज आईए
      नया ही मिलेगा
      आनन्द यहाँ
      आपने ब्लॉग फॉलो किया कि नहीं
      यदि नहीं ..तो कृपया जरूर करें
      सादर

      हटाएं

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