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बुधवार, 9 अप्रैल 2025

4053..आओ सच बोलें..

 ।।प्रातःवंदन।।



"खुला है झूठ का बाज़ार आओ सच बोलें

न हो बला से ख़रीदार आओ सच बोलें।

सुकूत छाया है इंसानियत की क़द्रों पर

यही है मौक़ा-ए-इज़हार आओ सच बोलें।"


क़तील शिफ़ाई


शेर के मौज़ूं को समझते हुए आनंद लिजिए बुधवारिय अंक की...



लघुकथा (धुएं का छल)

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    कमल वर्मा एक आदर्श पति और जिम्मेदार पिता था, कम से कम घर में उसकी यही छवि थी। लेकिन बाहर की दुनिया में वह सिगरेट का ऐसा शौकीन था कि बिना कश लिए उसकी रगों में बेचैनी दौड़ने लगती। घर में उसने खुद पर यह नियम थोप रखा था लघुकथा (धुएं का छल)..

✨️

जपे राम हर पल

दीपक मन की पीर हरे

हर ले असत तिमिर

रोशन वह ईमान करे 

मजबूत करे जमीर

✨️

घाटी में…


बर्फ से ढके मौन खड़े हैं 


देवदार


हवा की सरसराहट से ..

✨️

दिल की गहराइयों में है जमा अगाध जलधार,

रेत को हटा कर, तुम अंजुरी कभी भर न पाए,

अजस्र आँचल बिखरे पड़े हैं धरातल के ऊपर,

आसक्ति के वशीभूत ख़ुश्बू ज़मीं पे झर..

।।इति शम।।

धन्यवाद 

पम्मी सिंह ' तृप्ति '...✍️


3 टिप्‍पणियां:

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