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बुधवार, 25 दिसंबर 2024

4348 सूरज किसका चाँद किसका ..

 होकर स्वतंत्र कब मैंने चाहा है , कर लूं जग को गुलाम...
 कुशल एवं दूरदर्शी नेतृत्व से भारत के पूर्व प्रधानमंत्री , 
भारतीय राजनीति के युगपुरुष श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर

सच्चाई यह है कि
केवल ऊँचाई ही काफ़ी नहीं होती,
सबसे अलग-थलग,
परिवेश से पृथक,
अपनों से कटा-बँटा,
शून्य में अकेला खड़ा होना,
पहाड़ की महानता नहीं, ,मजबूरी है. 

कोटि-कोटि नमन..
एक रचना
ख़ून क्यों सफेद हो गया?
भेद में अभेद खो गया।
बँट गये शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार दड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।

खेतों में बारूदी गंध,
टूट गये नानक के छंद
सतलुज सहम उठी,
व्यथित सी बितस्ता है।

वसंत से बहार झड़ गई
दूध में दरार पड़ गई।

अपनी ही छाया से बैर,
गले लगने लगे हैं ग़ैर,
ख़ुदकुशी का रास्ता,
तुम्हें वतन का वास्ता।

बात बनाएँ, बिगड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई। 

"सरकारें आयेंगी-जायेंगी,
पार्टियाँ बनेंगी बिगड़ेंगी, यह देश रहना चाहिए,
मेरा संविधान रहना चाहिए!"
*****

सूरज किसका चाँद किसका 

हम चाँद हैं तुम्हारे  

तुम सूरज हो हमारे 

हम भी तनहा, तुम भी तनहा 

संसार में हम दोनों तनहा 

पर साथ-साथ हम चलते हैं

अपना कर्त्तव्य निभाते हैं..

✨️

मौन और संवाद

मौन क्या है

दूरियों को पाटने वाला संवाद

या समय के साथ चौड़ी होती खाई ...

✨️

एक मेहनत कश को अपनी 

थकान से मुहब्बत हो जाती है

जिससे चलती है रोज़ी उनको अपनी

दुकान से मुहब्बत हो जाती है।

✨️ 

ओस की बूँदें

झिलमिलाते मोती

खुली अंजुरी

प्रेमोपहार

प्रभु का प्रकृति को

ओस के रत्न..

✨️

।।इति शम।।

धन्यवाद 

पम्मी सिंह ' तृप्ति '..✍️


3 टिप्‍पणियां:


  1. सच्चाई यह है कि
    केवल ऊँचाई ही काफ़ी नहीं होती,
    सबसे अलग-थलग,
    परिवेश से पृथक,
    अपनों से कटा-बँटा,
    शून्य में अकेला खड़ा होना,
    पहाड़ की महानता नहीं, ,मजबूरी है.

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभकामनाएं
    शानदार अंक
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर हलचल … आभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए

    जवाब देंहटाएं

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