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गुरुवार, 14 नवंबर 2024

4307...पिता सागर है, माँ नदिया...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया अनीता जी की रचना से। 

सादर अभिवादन। 

गुरुवारीय अंक में पढ़िए पाँच चुनिंदा रचनाएँ-

बिनु पानी बेहाल



पोखर ताल सिमट रहे, सभी बन  गये  खेत।

भू जल  नीचे  हो  रहा, नल जल मिश्रित रेत।।

कागज में सभी गहरे, पानी पूरित ताल।

भू जल नीचा हो रहा, बिनु पानी बेहाल।।

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ऋण



पिता सागर है, माँ नदिया

जो मीठे जल से प्यास बुझाती है

पिता है, तो माँ है

आकाश के बिना धरा कहाँ होगी

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इज़्ज़त



 -“अच्छा भाभी! चलती हूँ.., इनको सोया छोड़ कर आई थी रात में खाना भी नहीं खाया था। सोचा जल्दी से सब्ज़ी ले आती हूँ। किसी से न कहना भाभी! आपसे मन मिलता है तो जी हल्का हो जाता है, कह-सुनकर।व्यस्त भाव से कहते हुए उसने भाभी से विदा ली। 

*****

काला-गोरा


क्या राज है इसका भैया! तुम गोरा मैं काला।

मुझ पर कोई नजर न डाले,तेरा जपता माला।

सुन , कौए की बात हंस,मंद - मंद  मुस्काया।

मीठी बोली में बड़े प्यार से,उसको यूं समझाया।

*****

डेंगू का एलोपैथिक के साथ-साथ आयुर्वेदिक उपचार भी कारगर सिद्ध होता है 



कहा जाता है कि डेंगू फीवर शब्द पहले डेंडी फीवर था, जिसे वेस्टइंडीज में गुलाम बनाए गए लोगों के नाम दिया था। इसका मतलब हड्डियों में उठने वाले दर्द से है। डेंगू का पहला प्रकरण चीन की मेडिकल इनसाइक्लोपीडिया जिन डायनेस्टी’ (265-420 एडी) में मिलता है। वर्ष 1980 के लगभग अफ्रीका, उत्तर अमेरिका और एशिया में लोगों में एक जैसी बीमारी के लक्षण देखे गए। इसके बाद कई मेडिकल रिसर्च हाने के बाद अंततः वर्ष 1779 में इसे एक बीमारी माना गया।  

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


3 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर सूत्रों से सजा बहुत सुन्दर संकलन ।संकलन में मेरी रचना को सम्मिलित करने हेतु सादर आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह जी ।

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  2. सुप्रभात ! बाल दिवस पर सभी को शुभकामनाएँ, सुंदर प्रस्तुति, 'मन पाये विश्राम जहां' को स्थान देने हेतु हृदय से आभार !

    जवाब देंहटाएं

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