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सोमवार, 4 नवंबर 2024
4297..काला ही तो वह रंग है, जो हमारे भीतर है
सादर नमस्कार
लोक आस्था का महापर्व-‘छठ’
छठ पर्व की पौराणिक कथा के अनुसार, राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी की कोई संतान नहीं थी। इसे लेकर राजा और उसकी पत्नी दोनों हमेशा दुखी रहते थे। संतान प्राप्ति की इच्छा के साथ राजा और उसकी पत्नी महर्षि कश्यप के पास पहुंचे। महर्षि कश्यप ने यज्ञ कराया और इसके फलस्वरूप प्रियव्रत की पत्नी गर्भवती हो गईं लेकिन नौ महीने बाद रानी ने जिस पुत्र को जन्म दिया, वह मरा हुआ पैदा हुआ। यह देख प्रियव्रत और रानी अत्यंत दुखी हो गए।
संतान शोक के कारण राजा ने पुत्र के साथ ही श्मशान पर स्वयं के प्राण त्यागने व आत्महत्या करने का मन बना लिया। जैसे ही राजा ने स्वयं के प्राण त्यागने की कोशिश की वहां एक देवी प्रकट हुईं जो कि मानस पुत्री देवसेना थीं। देवी ने राजा से कहा कि वे सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं। उन्होंने कहा ‘मैं षष्ठी देवी हूं। यदि तुम मेरी पूजा करोगे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करोगे तो मैं पुत्र रत्न प्रदान करूंगी।
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बहुत सुंदर रचनाएं. आभार.
जवाब देंहटाएंआभार दिग्विजय जी |
जवाब देंहटाएंमिले-जुले मन के भाव , उजागर करते त्यौहार । धन्यवाद, दिग्विजय जी। आपको और सभी रचनाकारों ,पाठकों को बधाई !
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