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मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024

4284 ...धूल की इस वीणा पर मैं तार हर त्रण का मिला लूं!

 सादर अभिवादन


घिर रहा तम आज दीपक रागिनी जगा लूं


क्षितिज कारा तोड़कर अब
गा उठी उन्मत आंधी,
अब घटाओं में न रुकती
लास तन्मय तड़ित बांधी,
धूल की इस वीणा पर मैं तार हर त्रण का मिला लूं!

भीत तारक मूंदते द्रग
भ्रान्त मारुत पथ न पाता,
छोड उल्का अंक नभ में
ध्वंस आता हरहराता
उंगलियों की ओट में सुकुमार सब सपने बचा लूं!


आज की शुरुआत



यों बोलचाल में देशज प्रयोग ‘दिवाली’ हम सुन सकते हैं, पर पढ़े-लिखे लोग लिखने-बोलने में सही रूप का प्रयोग करेंगे तो अन्ततः यही हिन्दी के हित में होगा। दुर्भाग्य यह है कि हम अपनी ही भाषा के शब्द के लिए वर्तनी निर्धारण अँग्रेज़ी में लिखे जा रहे DIWALI के आधार पर करने लगते हैं और आई (I) देखकर ‘दीवाली’ के ‘द’ पर छोटी ‘इ’ की मात्रा तय कर देते हैं।

मूल शब्द है, दीप। बताने की ज़रूरत नहीं है कि दीप का मतलब दीया। ‘दीप’ में जुड़ा ‘आलि/आली’ (कतार, शृङ्खला) तो बना ‘दीपालि/दीपाली’। ‘आवलि’ या ‘आवली’ जोड़िए तो ‘दीपावलि’ या ‘दीपावली’। ‘दीप’ में ‘माला’ जुड़ा तो ‘दीपमाला’। ‘मालिका’ जोड़िए तो ‘दीपमालिका’। अर्थ वही है। हिन्दी के स्वभाव के हिसाब से ‘दीपाली’ और ‘दीपावली’ का सहज परिवर्तन ‘दीवाली’ है।

महादेवी वर्मा की कृति ‘दीपशिखा’ की यह पंंक्त‍ि पढ़िए—इस मरण के पर्व को मैं आज दीवाली बना लूँ।





है जो पथ कल्याण का, बुद्धि वहाँ पर एक।
कामी जन संसार के, मानें इसे अनेक ।।33 ।।

नज़र स्वर्ग पर है टिकी, दिखे नहीं कुछ और।
दूषित ऐसी सोच है, करना इस पर गौर।।34।।





हाथों में हो हाथ
मिले कदम से कदम,
जीवन के हर हाल में
रहे समन्वय और संयम ।

एक दूजे के लिये चांद से
यह दुआ है ता उम्र ,
हो पल पल सुकून का
और हर पल शुभ शगुन ।




प्रत्यूषा का प्रसव काल है,
जल में थोड़ी हलचल है।
चतुर्दशी का चाँद  गगन में,
डल के तल में कोलाहल है।

यह झील सती का सरोवर,
शंकर समीप पर्वत ऊपर।
नीचे जल झलमल-झलमल
सोहै  दूधिया चंद्रशेखर।




शब्द की सामर्थ्य कहती,
बचपना कब लिख सके हम
ओट से आ चांद बोले,
हम निकट ही नित खड़े हैं।।

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आज सखी व्यस्त है
सो आज भी मैं ही हूं

आज बस
वंदन

6 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ कामनाएं
    बारह दिनी पर्व सामने है
    व्यस्तता तो रहेगी
    कोशिश यही रहेगी
    व्यवधान न हो
    सहयोग अपेक्षित है
    वंदन

    जवाब देंहटाएं
  2. पठनीय रचनाओं से सज्जित सुंदर अंक।

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्यवाद यशोदा जी, अपने इस संकलन में मुझे शाम‍िल करने के ल‍िए आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर प्रस्तुति
    सांख्य योग भाग 5 को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत धन्यवाद आदरणीय मेम, मेरी रचना "एक दूजे के लिए चंद से " को इस गरिमामय मंच में स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
    सभी संकलित रचना बहुत सुंदर है , सभी को बधाइयां ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  6. अति उत्तम संकलन , मेरी रचना को स्थान देने के लिए सादर आभार

    जवाब देंहटाएं

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