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रविवार, 4 अगस्त 2024

4207 ..उस समय तो ‘पाकिस्तान’ था ही नहीं

 नमस्कार




“एक बार महर्षि कश्यप, जिनके नाम पर आज कश्मीर का नाम पड़ा है, 
घूमते-घूमते कश्मीर पहुंच गए। वहाँ उन्होंने एक सुन्दर झील देखी तो 
उस झील में उनका नहाने का मन हुआ। 
उन्होंने अपने कपड़े उतारे और झील में नहाने चले गए।

जब वो नहा कर बाहर निकले, तो उनके कपड़े वहाँ से गायब मिले।
दरअसल, उनके कपड़े किसी पाकिस्तानी ने चुरा लिये थे…

इतने में पाकिस्तानी प्रवक्ता चीख पड़ा और बोला:
“क्या बकवास कर रहे हो? उस समय तो ‘पाकिस्तान’ था ही नहीं!!!”

कुछ रचनाएँ




शायद यह उस प्राचीन सिंहासन की पुतलियों का ही श्राप हो, जिससे गलत तरीके से उसे हासिल कर उस पर बैठते ही बैठने वाले पर कोई आसुरी शक्ति हावी हो जाती है ! जिससे वह सच को छोड़ झूठ का पक्ष लेने लगता है ! सच्चाई सामने होते हुए भी वह अपनी आँखें बंद कर झूठ को सही ठहराने लगता है ! अपने हित, अपने पद, अपने भविष्य, अपने परिवार, अपनी सुरक्षा को मद्देनजर रख कर वह अपना फैसला गढ़ने लगता लगता है ! भले ही इसके लिए उसकी चारों ओर से लानत-मलानत हो रही हो ......





दिशाहीन भटके मानव को,नाथ
दिखाओ राह।
डूब रही है जीवन नैया,पूरी कर
दो चाह।


बस यूं ही ..
प्रेमचंद जी के बहाने ... "कफ़न"




एक दर्शक बोला, “अरे ! कितनी बार एक ही चुटकुला सुनाओगे। कुछ और सुनाओ अब इस पर हंसी नहीं आती।”

जोकर थोड़ा गंभीर होते हुए बोला, “धन्यवाद भाई साहब, यही तो मैं भी कहना चाहता हूँ, जब ख़ुशी के एक कारण की वजह से आप लोग बार-बार खुश नहीं हो सकते तो दुःख के एक कारण से बार-बार दुःखी क्यों होते हो, भाइयों हमारे जीवन में अधिक दुःख और कम ख़ुशी का यही कारण है। हम ख़ुशी को आसानी से छोड़ देते हैं, पर दुःख को पकड़ कर बैठे रहते हैं।”


आज  बस
सादर

4 टिप्‍पणियां:

  1. उस समय पाकिस्तान था ही नहीं
    सुन्दर अंक
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर रचनाओं का संकलन। इसमें मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. सम्मिलित कर मान देने हेतु हार्दिक आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. उस समय नहीं था , अच्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं

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