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शनिवार, 3 अगस्त 2024

4206 ..श्रद्धा में विश्वास करो श्राद्ध में नहीं

 नमस्कार

आठवें महीने का तीसरा दिन
छुट्टियां का महीना
सावन बोले तो सावन ही है
कुछ रचनाएँ




एक उम्र में प्यार का मुफ्त मिलना
एक उम्र में प्रयत्न पर पाना हथियाना
एक उम्र में अनुनय विनय कर मांगना
ताउम्र मोहमाया में निमग्न रहना
अंतकाल तक मोहपाश का ना छूटना
बस इतना ही है जीवन फ़साना।





जिंदगी भर तुम्हारी माँ टूटी खाट पर सोती रही और उसपर से ही गिरने के कारण उसकी कमर की हड्डियां टूट गयीं तब कोई उसे एक खाट-चौकी तक नहीं दिया यही एक महीने का वेतन उस दिन दिया होता तो शायद उसका अच्छे-से इलाज हो गया होता।यही मेवे-फल उस दिए होते तो जीते जी उसकी आत्मा तृप्त होती।अब मरने के बाद इन सामानों को दान का ढकोसला और दिखाबा करने से क्या लाभ ? "यदि किसी को ज्यादा श्रद्धा और प्रेम दिखाना है तो उसके जीवन में करो , मरने के बाद  वह व्यक्ति स्वयं इस आकांक्षाओं से मुक्त हो जाता है।सारे दान-दक्षिणा, भोज-भात लोग समाज के दिखाबे के लिए करते हैं।" इसलिए -"मान करो दान नहीं।
श्रद्धा में विश्वास करो श्राद्ध में नहीं।"




खुशबू तुम्हारे एहसास में लिपटे,
चाँदनी की चुनरी ओढ़े
स्वप्निल कामनाओं से बोझिल
आँखें,तरसती है नींद को
भोर के शोर की बाट जोहती
तारों की झुरमुट में जुगनू-सी
जलती-बुझती हूँ तुम्हारे अनलिखे
प्रेमपत्र पढ़ते हुए...।




दो रोटी सूखी सी
दो दिन की भूखी सी
चाहती है रहना साथ
करना चाहती है बात
लेकिन डरती है बबुवा से
निकाल न दे अपने ही घर से





स्विच दबाते ही हो जाती है रोशनी
सूरज की राह मैं तकता नहीं

गुलाब मिल जाते हैं बारह महीने
मौसम की राह मैं तकता नहीं

इंटरनेट से मिल जाती हैं दुनिया की खबरें
टीवी की राह मैं तकता नहीं




मेरा अमरूद उनको
केला नजर आता है
मैं चेहरा दिखाता हूँ
वो बंदर चिल्लाता है
मैं प्यार दिखाता हूँ
वो दांत दिखाता है
मेरी सोच में लोच है


सावन के महीने में

आज  बस
सादर

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय जी

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतर संकलन

    आज लगभग सभी लिंकों पर जाने का मौका मिला
    सृजनकर्ताओं की अपनी दुनियाँ होती है, और यही दुनियाँ, जीवन को नईं दिशा देती है
    नमन है सभी सृजनकर्ताओं को 🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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