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शनिवार, 1 जून 2024

4144 ...साहित्य कुंवारी माँ की आत्महत्या नहीं

सादर अभिवादन

साहित्य कुंवारी माँ की आत्महत्या नहीं,
गुनाहों का देवता है,
वह मरियम का पुत्र है,
रासपुटिन का देवता है।
साहित्य फ्रायड की वासनाओं का लेखा नहीं,
गोकुल के कन्हैया की लीला है,
उसके आँगन का हर छोर
विरहिणी गोपियों के आँसुओं से गीला है।
- गोपाल प्रसाद व्यास


नाम ,बदनाम होना ,बड़ी बात है
रह गई उनकी इतनी सी औकात है ।  
 
लोग डरते नहीं ज़ुल्म सहते नहीं
जान लो आप इक राज़ की बात है ।

 जब तक 


 

मन उदास रहता है
प्रेम देना और प्रेम पाना
बस ये दो ही लक्षण हैं स्वस्थ मन के
जब तक ये दिखायी न दें
मन निराश रहता है


कल रात घुमावदार घाटी
पार करते हुए,नीचे एक पुराने लंबे वृक्ष को
जलते देखना,
कितना विचलित कर देने वाला अनुभव था! 
जैसे कोई दैत्य अट्टहास करता हुआ
अपनी भुजाएं फैलाए !




इस दुनिया से लड़ना मुश्किल नहीं मेरे लिए
पर तुझसे हार जाती हूँ।
किसी से डर नहीं लगता
तेरे ग़ुस्से से ख़ौफ़ खाती हूँ।
सच का दामन थामा था
झूठ से आसान जानने के बाद ही
तेरी नाराज़गी के डर से
झूठ बोल जाती हूँ।





शहर की उबाऊ भीड़
और ये कंक्रीट के वन
एसी और कूलर के पेड़
जान लेने पर आ गए है।
मौसम वैज्ञानिकों ने
तापमान का कर लिया है आकलन
कह दिया है सभी से
एसी और कूलर के पेड़ो को काट कर
हरे - भरे वृक्ष का रोपण हों



किस विषय पर गीत लिख दूँ



छंदगत अविधेयता को
हीनता से जाँचता है;
अर्थलिप्सा छोड़कर के
स्नेह को जो बाँटता है।
वंद्य हैं पद रेणु उसके, मंच उसका एक किंकर।
किस विषय पर गीत लिख दूँ...।।



आदतें अपनी-अपनी


उसने पूछा - लिख नहीं रही आज कल ? बहुत दिन हुए कुछ लिखते नहीं देखा..!! 
मन किया कि कहूँ - आज कल गुजरे
कल और आने वाले कल को दरकिनार कर आज को जीना
सीख रही हूँ और वो आज मुझे हर जगह अनफिट किये दे रहा
है जिसके तार पैदाइश से ही जुड़े हैं मेरे साथ ..,



आज बस
कल फिर
सादर वंदन

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर सूत्रों से सजी सुन्दर प्रस्तुति में सम्मिलित करने के लिए हृदय तल से सादर आभार यशोदा जी ! सादर वन्दे !

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  2. बहुत सुंदर रचनाएं है।मेरी रचना को आपने मान एवं स्थान दिया है।आवाज सूखन ए अदब की जानिब से बहुत बहुत शुक्रगुजार हूं।आप सभी पाठको से निवेदन है की आप सभी मेरे ब्लॉग में अवश्य विजिट करे।शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर रचना और सुंदर संयोजन

    जवाब देंहटाएं

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