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शनिवार, 18 मई 2024

4130 .. दर दर से खैरात मांगना भिक्षुक को कितना अनुभवी बना देता है

सादर अभिवादन
नौतपा पच्चीस मई से
और ईद-उल-अजहा
17 जून को
कुछ रचनाएं




ख़ुरदरी , कंटीली पगड़ियाँ...
जिनपर भागकर आकाश छूने की
लालसा में ख़ुद को
भुलाये बस भागती
रहती है ज़िंदगी...।


आत्ममुग्धतावश या आत्म-प्रशंसावश तो नहीं, पर .. हम "घीसू" के पात्र को जीने के आत्म-गौरव की अनुभूति करते हुए पुनः एक बार "कफ़न" को यहाँ चिपकाने से स्वयं को संवरण नहीं कर पा रहे हैं .. .. बस यूँ ही





पढ़े लिखे नाच रहे हैं
लिखे में दिख रहा है उनके
राम भी समझ में आता है
राम नाम सत्य है बस
एक और केवल एक ही दिन
एक भीड़ से बांच दिया जाता है





लगे हाथ एक और परिक्षण कर लेते हैं ! इसी बात पर आप का आकलन भी हो जाएगा ! उसके कहने पर तो थाली, कटोरी, फूल, दिया सब हो गया ! राम लहर चल ही रही है, अब आप एक बार आह्वान कीजिए कि अमुक तारीख पर, अमुक समय देश के सभी लोग सिर्फ ग्यारह बार श्री राम का नाम जपेंगे ! देखिए कितने लोग आते हैं ! दूध का दूध, चार सौ का चार सौ हो जाएगा !  





आपने सुना होगा दर दर से खैरात मांगना भिक्षुक को कितना अनुभवी बना देता है , कितने साल जिस ने यही पढ़ाई की हो उसकी समझदारी चतुराई और अपना जादू चलाने की कला कितनी विलक्षण हो सकती है । घर घर की महिलाओं से हलवा पूरी खाना बड़े बड़े साधु संत महात्मा भी कभी मार खा जाते हैं लेकिन जिस ने जीवन भर बिना कोई काम धंधा किए खाना ही नहीं बल्कि सिर्फ अपनी पसंद का ही खाना है ऐसा संकल्प लिया हो वो क्या नहीं कर सकता । बस लगातार शासक बने रहने को यही उनका गुरु मंत्र उनके आराध्य देव ने समझाया था


चलते-चलते

यूँ ही कोई मिल गया था

आज बस
कल फिर मैं
सादर वंदन

4 टिप्‍पणियां:

  1. जी ! .. सुप्रभातम् सह नमन संग आभार आपका .. अपने मंच की आज की अपनी अनुपम प्रस्तुति में हमारी बतकही को स्थान प्रदान करने के लिए .. बस यूँ ही ...🙏

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