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मंगलवार, 14 मई 2024

4126...जग को क्या अनमोल भेंट दूँ...

 मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।

ग्लोबल वार्मिंग अर्थात जलवायु में असंतुलित परिवर्तन मौन आहट है विनाश का, हमारी पृथ्वी और मानव अस्तित्व के लिए। ग्लोबल वार्मिंग बहुत ही जाना पहचाना नाम है और हम सब इसके बढ़ते खतरे से भी अनजान नहीं, पर हम इसे कम करने में अपना क्या योगदान दे रहे हैं ये बात महत्त्वपूर्ण है।लोग तरह-तरह की  असाध्य बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं, खेती की उर्वरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा,पेय जल का भयावह संकट और भयावह होता जा रहा,समुद्रों के जलस्तर  में गलेश्यिर के पिघलने के कारण अनायास वृद्धि और इन सबसे आम जनजीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।पर इसके बावजूद सब आँखें मूँद कर लापरवाही की प्रवृति अपनाये हुये हैं, हम इतनी गंभीर समस्या पर मूक-बधिर होकर सारे तथ्य नकार रहे हैं।


ग्लोबल वार्मिंग की प्रक्रिया को रोकना सिर्फ़  एक व्यक्ति के बस में 
नहीं है  लेकिन छोटे-छोटे प्रयासों  से हम निश्चित रूप से 
इसकी गति कम कर सकते हैं। 

हम अपने आस-पास के वातावरण को प्रदूषण से जितना मुक्त रखेंगे, इस पृथ्वी को बचाने में उतनी ही बड़ी भूमिका निभाएंगें। पेड़-पौधे लगाये और पीने के पानी को व्यर्थ न बहने दें। ऐसा प्रयास अति सराहनीय होगा।आप अपनी भूमिका तय कर लीजिए आप क्या योगदान कर रहे??

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आज की रचनाएँ-


तेरी हर ज़िक्र पर हर शब्द का शायरी में ढल जाना 
तुझसे बात करते वक़्त नज़र नीची करके शरमाना 
बार-बार मेरी तरफ़ तेरा देखना मेरा यूं घबरा जाना 
अनजाने ही फिर इक दूजे की निग़ाहों में खो जाना ।


शैशव काल से ही भक्ति का
बीज अंकुरित था अंतर में,
लाखों जन की पीड़ा हर लूँ
यह अंकित था कोमल उर में !

कड़ी तपस्या बरसों इस हित
सहज ध्यान में बैठे रहते,
जग को क्या अनमोल भेंट दूँ
इस धुन में ही खोये रहते !

सरकारी अस्पताल में मरीज़ दिखते हैं बदहाल से,
जेब में किसी के माल नहीं होता, लगते हैं कंगाल से। 
चार बच्चों की अम्मा जब अपनी उम्र बताती है बीस,
तो डॉक्टर को भी पूछना पड़ता है, कितने साल से



चेतनाओं को भी सुन आती है
और गढ़ देती है चुपचाप
 उनके संवाद क्षण में ही
वो तैरती भी है और
हवाओं सी घुल 
पहुँच जाती है हर ओर


तुम भी हमेशा मजाक करते हो। हमने कहा, पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है तो तुम रत्नो के नाम गिनाने लगे! अरे पुत्र को सभी रत्न और पुत्री को लक्ष्मी कहते हैं तो हमने भी कह दिया!!! क्या गलत किया?

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आज के लिए बस इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
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3 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर अंक
    शानदार मिश्रित अंक
    सारी पठनीय रचनाओं का संकलन
    आभार
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. हम अपने आस-पास के वातावरण को प्रदूषण से जितना मुक्त रखेंगे, इस पृथ्वी को बचाने में उतनी ही बड़ी भूमिका निभाएंगें।बहुत सार्थक संदेश देती हुई भूमिका और पठनीय रचनाओं का चयन आज के अंक को उपयोगी, रोचक और रसपूर्ण बना रहा है। बहुत आभार श्वेता जी !

    जवाब देंहटाएं

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