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शनिवार, 4 मई 2024

4116 ..हर पल ओस की तरह ताज़ा है,

 सादर अभिवादन


चिंतन ...
त्यजन्ति मित्राणि धनैर्विहीन
दाराश्च भृत्याश्च सुहृज्जनाश्च।
तं चार्थवन्तं पुनराश्रयन्ते,
अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धु॥

भावार्थ :  यदि मनुष्य के पास धन आ जाए तो
पराए भी अपने बन जाते हैं ; पत्नी,  पुत्र, बन्धु-बान्धव  भी स्नेह 
तथा अपनत्व दिखाने लगते हैं।

लेकिन यदि कोई धनवान निर्धन हो जाए तो
अपने भी उससे दूर हो जाते हैं। पत्नी, पुत्र, मित्र, सगे- संबंधी —सभी 
एक-एक कर साथ छोड़ देते हैं।

इससे यही ज्ञात होता है
कि धन मनुष्य का सच्चा हितैषी है।
जिसके पास धन है,
समस्त सुख उसके अधीन हैं।

नई चुनिंदा  रचनाएं

इस अंक की खासियत
आज की प्रथम तीन रचनाएं अनीता जी की है जो अलग-अलग ब्लॉग से है



नैनी आज जल्दी आ गई, कन्नड़ सिखाने में उसे आनंद आता है, वह धीरे-धीरे कुछ शब्द सीख रही है।नाश्ते के बाद वे सब्ज़ी ख़रीदने गये, बेबी कॉर्न, कुंदरू, अरबी, आँवले आदि कुछ नयी सब्ज़ियाँ मिलीं, जो पास की दुकान में नहीं मिलतीं। जून को अब ईवी चलाने में दिक्क्त नहीं होती। इतवार को ईवी कार रैली है, नन्हा उसमें जाने को कह रहा है। यह भी बताया, उसका पैथोलॉजिस्ट मित्र असम जाने वाला है, उसे मेडिकल कॉलेज में जॉब मिला गया है,




संत कहते हैं, साधक को हर सुबह अपने दिन की शुरुआत ऐसे करनी चाहिए जैसे कि वह पहली बार जगत को देख रहा है। ध्यान का अर्थ ही है,  हर पल को गहराई से महसूस करना, हर पल ओस की तरह ताज़ा है, अभी है अभी नहीं रहेगा।



जन्म पर जन्म लेता है मानव
कि कभी तो जान लेगा सम्पूर्ण
ख़ुद को
पर ऐसा होता नहीं
जब तक अनंत को भी
अनंतता का दीदार नहीं हो जाता



सार्थक अपनी शादी का कार्ड लेकर अपने मित्र समर्थ के यहाँ गया और उसने अपनी शादी का कार्ड उसकी माँ को दिया। उसकी माँ ने जिज्ञासावश कार्ड खोलकर देखा और उसमें उसके पिता का नाम संजीव देखा।  संजीव तो सार्थक के चाचा थे, जो भाभी से शादी के बाद पिता बने।





तुम्हारी मोहनी सूरत तो
हर पल आँख में रहती
दिल में जो बसी सूरत
उस सूरत का फिर क्या होगा



आज बस. ...
कल भी मिलूंगी
सादर वंदन

3 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्कार, धन की महत्ता को बताती हुई सार्थक भूमिका, पर लक्ष्मी के साथ नारायण की कृपा भी बनी रहे, धन का सदुपयोग होता रहे। आज के अंक में तीन रचनाओं को शामिल करने के लिए ह्रदय से आभार, सभी पर पाठकों ने दस्तक भी दी है, अन्य दो रचनाओं के रचनाकारों व सभी पाठकों को शुभकामनाएँ !

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  2. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ,,,

    जवाब देंहटाएं

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