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शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024

4094...राम नाम सत्य है...

शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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आज विचित्र दौर है। सरकारें शब्द तक को प्रभावित करती हैं। आज के विचार राजनीति के बंधक हैं, आज राजनीतिक पार्टियां मनुष्य और समाज नहीं गढ़ती, वे गढ़ती हैं केवल वोट...

आज राजनीति हम पर इतनी हावी है कि व्यक्ति अपनी पार्टी की पसंद के विचार को जाएज़ ठहराने के लिए  सही-गलत ,सच-झूठ,नैतिकता, मर्यादा की भी परवाह नहीं करता है। आज समाज और जीवन साफ़-साफ़ राजनीतिक खेमों में गोलबंद दिखलाई पड़ने लगा  है।

परिस्थितियों के आधार महसूस होने लगा है भविष्य के गर्भ में समाज के लिए एक विस्फोटक पृष्ठभूमि तैयार हो रही है।


"जब उसके ऐतिहासिक मूल्यांकन का वक़्त आयेगा,

हर इक आईना टूटकर आवाम की छाती में चुभ जायेगा।"


आइये आज की रचनाओं के संसार में-


जग जाहिर है बिल्ला नहीं पकड़ रहा है चूहे चूहे करते हैं बेइमानी
लगी हुई है खरीदी बिल्लियों की फ़ौज कर रही है अपनी मनमानी

शब्द कई हैं बिल्ले पर कहने एक नहीं सारे हैं गालियों में नहीं गिनानी
खड़े हो जायेंगे सारे सफेदपोश फर्जी समझायेंगे कोर्ट कचहरी दीवानी




सुबह एक ही रंग में रगीं है

शामें सब एक आग़ोश में ढकीं है

एक ही ख़्वाब सजाते है

एक उम्मीद पे जिये जाते है

पसंद नापसंद सब एक हो जाती है

साँसे एक ही धुन गुनगुनातीं है

एक ही रस्क एक ही तलब है

ज़बक़े अलग-अलग हम कितने अलग है




विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के, आप मतदाता हो
आपका वोट अमोल है, आप राष्ट्र भाग्य विधाता हो
ये मत समझना मेरे न जाने, से क्या होने जाएगा
आपके न जाने से देश, असक्षम को ढोने जाएगा
सामर्थ्यवान को समर्थ करेंगे, चलो मिलकर आह्वान करें
लोकतंत्र के पर्व पर, निस्वार्थ होकर मतदान करें।






एक संवेदनशील और ईमानदार व्यक्ति के लिए आसान नहीं होता है  और ऐसे लोगों के हिस्से अक्सर घुटनभरा समय और तकलीफ ही आती है |माना की इस तेज रफ्तार जीवन शैली में युज़ ऐड़ थ्रो का चलन बड़ रहा है और इस, चलन के चलते हमने धरा की गर्भ को तो विषैला बना ही दिया है





जबकि मुझे लगता है कि गमराज एक ऐसा किरदार है जिसे लेकर समाजिक व्यंग्य बहुत अच्छे से कहे जा सकते हैं। वो एक देव पुत्र है जिसके अंदर कोई दैवीय शक्ति नहीं है। वो एक साफ दिल का आदमी है जो कि अक्सर गलत लोगों द्वारा इस्तेमाल होता है। पर फिर भी वह अपने मन में मेल नहीं आने देता है और मजबूरों की मदद करने के लिए जिस तरह से आतुर रहता है।  मुझे लगता है यह सब इतना सामान दे देता हैं कि लेखक इसे लेकर गहरी विचारोत्तेजक सामाजिक टिप्पणी पर भी कर सकते थे। 



आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में ।
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7 टिप्‍पणियां:

  1. जबरदस्त अंक
    आभार का पहाड़
    सादर वंदन

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर संकलन, सभी कलमकारों को आपके कृतित्व ke लिए शुभकामनाएं, और मेरी रचना को पोर्टल पर चयन करने हेतु आभार

    जवाब देंहटाएं

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