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मंगलवार, 5 मार्च 2024

4056 ..फूल से जो अधर पर खिले हैं सदा ,

 सादर अभिवादन

मार्च 5
रायपुर का मौसम
सूर्य छिपा हुआ है
बादलों के अंदर
कुछ ऐसा ही कहा जा रहा था
समाचार में ..सो सत्य लग रहा है

आज सखी नहीं है

आज की रचनाएँ



जन्म लिया जिस माटी में हम क़र्ज़ उतारेंगे उसका
पाया जिसके कण कण से हम फ़र्ज़ निभायेंगे उसका
आँख उठा कर देखेगा यदि दुश्मन भारत माँ की ओर
पल भर की भी देर न होगी शीश काट लेंगे उसका !




फूल से जो अधर पर खिले हैं  सदा ,
वह मिले तो मगर अजनवी की तरह

धडकनें श्वांस के तार पर गा रहीं ,
हर घड़ी प्यार की धुन दोहरा रहीं




अपनी ख़ुशी के लिए किसी और पर निर्भर रहना उसकी पराधीनता स्वीकारना ही तो है। 
इसे प्रेम का नाम देना कितनी बड़ी ग़लतफ़हमी है। उसने यह बात सीख ली थी 
और अब अपने लिए छोटे-छोटे ही सही कुछ निर्णय ख़ुद लेना सीख रही थी।    




यह तुम हो…,
तुम्हारी आँखों में भरा पानी
 भी तो यूँ ही दिखा करता है
 जिसे देख लोग कहा करते थे -
“उसकी आँखें वॉटरी-वॉटरी हैं”
मैं जानती थी तुम ख़फ़ा हो
कभी खुद से तो कभी




जहाँ लम्बी दुर्गम पहाड़ी यात्रा करके आने वाले सैलानियों को ढाबेनुमा दुकानों से चाय-अल्पाहार करके तरोताज़ा होने का अवसर तो मिलता ही है .. साथ ही अपनों के लिए सौग़ात के रूप में यहाँ की बाल मिठाई और "पत्ते वाली मिठाई" ले जाने का भी मौका मिलता है।




उसकी बातें सुन पिंजड़े में बंद चिड़िया अनमने से मुस्कराई और पिंजड़े को हिलाकर कुछ अन्न के दाने नीचे फेंकती हुई उदास होकर बोली , "सखी ! ये कुछ दाने बच्चों को खिलाकर फौरन यहाँ से चली जाओ ! यहाँ के ऐश्वर्य पर मन लगाकर यहाँ रुके तो यहीं फँसकर रह जाओगे। बस इतना समझने की कोशिश करना कि मैं इतनी ही खुशकिस्मत होती और यहाँ के मालिक इतने सहृदय होते तो इस सुनहरे पिंजड़े का दरवाजा बंद ना होता । बस ये समझो कि जो घर देखा नहीं सो अच्छा " !



कल की कल
सादर

7 टिप्‍पणियां:

  1. जी ! .. नमन संग आभार आपका ..अपनी बहुरंगी प्रस्तुति के पैरहन में हमारी बतकही के पैबन्द को पिरोने के लिए .. बस यूँ ही ...

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  2. सुप्रभात ! सराहनीय रचनाओं का सुन्दर संकलन ।मेरे सृजन को संकलन में सम्मिलित करने हेतु आपका सादर आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात ! पठनीय रचनाओं की खबर देता एक और सुंदर अंक, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय संकलन -

    जवाब देंहटाएं
  5. उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब प्रस्तुति
    मेरी रचना को भी यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. हार्दिक धन्यवाद प्रिय यशोदा जी ! सभी सूत्र बहुत सुन्दर ! मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका हृदय से आभार !

    जवाब देंहटाएं

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