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बुधवार, 7 फ़रवरी 2024

4029..एक मुलाकात..

 ।।उषा स्वस्ति।।


'इसलिए तलवार टूटी अश्व घायल

कोहरे डूबी दिशाएं

कौन दुश्मन, कौन अपने लोग, सब कुछ धुंध धूमिल

किन्तु कायम युद्ध का संकल्प है अपना अभी भी

...क्योंकि सपना है अभी भी!'


धर्मवीर भारती

विचारों के संचार का माध्यम रचनात्मक रूपी शब्द और उनमें छुपी हुई भावनाओ की अभिव्यक्ति झगडा ....✍️

तीर ,कटार ,बरछी ,भाला 

 सभी आपस में झगड रहे थे 

 हम एक वार में किसी का भी 

  कर सकते हैं काम -तमा..

✒️


रोज़ सुबह 

दस सैंतालीस पर

दरवाज़ा खटखटाता है,

मेरा एक ख़्वाब।

दरवाज़ा ना खोलो

✒️


बर्फ आसमान से नहीं गिरती

बूंद ही बनती है बर्फ

धरती तक आते-आते

आजकल हर ओर

जमी है बर्फ...!!

✒️

एक मुलाकात

उसने पहली मुलाकात में ही 

कह दिया

मुझे मनुष्य के व्यक्तित्व

✒️

बस यूं ही....कलम चल पडी

  जीवन की ऊबड़ खाबड़ पगडंडियों पर

कभी धूप छांव कभी कंटकों पर चल पड़ी

आंसू और मुस्कुराहटों सेउलझ

✒️

दौड़ जारी है...

 कोई रेस तो है सामने !!!

किसके साथ ?

क्यों ?

कब तक ? - पता नहीं !

पर सरपट दौड़ की तेज़, 

।।इति शम।। 

धन्यवाद 

पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️

4 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सभी रचनायें इस एक शानदार मंच पर पढ़वाने का धन्यवाद पम्मी जी, आपकी मेहनत से हमें इन नायाब रचनाओं से रूबरू होने का मौका म‍िलता है...धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. कई विचार बिन्दुओं का सुन्दर संकलन करने के लिए धन्यवाद, पम्मी जी.
    एक बूँद हमारी भी जोड़ने के लिए हार्दिक आभार. नमस्ते.

    जवाब देंहटाएं

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