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सोमवार, 15 जनवरी 2024

4006 ..गूंजती थी, हर पल कोई न कोई सरगम,

सादर अभिवादन
आज असली संक्रान्त पर्व है
तिल गुड़ ध्या अणि
गोड़ गोड़ बोला
स्नान-दान का उत्सव
पोंगल, लोहड़ी
सब इसी दौरान मनाया जाता है
और वसंतोत्सव का आगाज़
अब रचनाएं देखें..



पोष मास में सूर्य देव जब
मकर राशि में आते
सरिता में नाहन होता है
पर्व मनाए जाते
त्याग शीत का भय भक्तों ने
पाप गंग में धोए।।





उसी दिन लड़के ने चादर बदला और अपने अंदर से एक शख़्स को भी। और रात तक सोते सोते उसने उस नए चादर को वपास पुरवर्ती तहों से तह करके वापस रख भी दिया, पुराने चादर के पास वापस चला गया। नया चादर इसी निमित्त उस सुनहरे दिन की शाम को लड़के की देह पर धारण की गई थी। चादर ने कुछ तो असर किया लड़के पर कि लड़के ने वो काम किया जो शायद वो कभी करने की मन में ला भी नहीं सकता था, उस काम को उसने हक़ीक़त में कर दिया था।




उड़ानेवाला नहीं जानता
कि किस-किस पर गिरेगी,
कहाँ-कहाँ गिरेगी,
किन चेहरों को ढकेगी
उसकी उड़ाई धूल.





राजा को बहुत गुस्सा आया, मगर जान की सलामती का वचन दे चुका था, 
राजा सीधा अपनी मां के महल पहुंचा।

मां ने कहा- "ये सच है, तुम एक चरवाहे के बेटे हो, हमारी औलाद नहीं थी 
तो तुम्हें गोद लेकर हमने पाला।”

राजा ने नौकर को बुलाया और पूछा- बता, "तुझे कैसे पता चला?”

उसने कहा- "जब राजा किसी को इनाम दिया करते हैं, तो हीरे-मोती और जवाहरात की शक्ल में देते हैं... लेकिन आप भेड़, बकरियां, खाने-पीने की चीजें दिया करते हैं... 
ये रवैया किसी राजाओं का नहीं, किसी चरवाहे के बेटे का ही हो सकता है।"

राजा हैरान रह गया..!!




सबको मिला आसमां,
मिली सबको जमीं,
फिर सब आपस में
जुदा -जुदा क्यों है?
सोचो ब्रह्मांड बनाया किसने
किसने बनाया इंसान?
कुदरत के करिश्मा को
नही झुठला सकता इंसान।




यूं तो, यूं न थे हम!
गूंजती थी, हर पल कोई न कोई सरगम,
महक उठती थी पवन!


आज बस
कल सखीआएगी
सादर

2 टिप्‍पणियां:

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