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गुरुवार, 11 जनवरी 2024

4002...माँ जैसी हिंदी...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया साधना वैद जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक के साथ हाज़िर हूँ। पढ़िए आज की पसंदीदा रचनाएँ-

लिख कुछ भी लिख लिखे पर ही लगायेंगे मोहर लोग कुछ कह कर जरूर लिख कुछ भी लिख

दिमाग में भरे गोबर को साफ़ कर
थोड़ा कभी जुलाब कुछ लिख

लिखते हैं लोग मौसम लिखते हैं लोग बारिश

लिखते हैं पानी भी गुलाब भी और शराब भी

लाजवाब लिखते हैं और बेहिसाब लिखते हैं

हिन्दी हमारी

दिए संस्कार

सुलझाया जीवन

माँ जैसी हिंदी


 सिखाई मुझे

साहित्य की विधाएं

विद्वान् हिंदी

तन्हा चिराग़--

मंदिर-मस्जिद के बाहर बसती है ज़िन्दगी की असल दुनियानफ़रतों के घने झुरमुट में इंसानियत का तन्हा चिराग़ जला रहे

एक लपट मृदु ताप भरे जो

याद घेर लेती है जिसकी

बनकर अनंत शुभ नील गगन,

कभी गूंजने लगता उर में

अनहद गुंजन आलाप सघन!

मन से English का Phobia निकाल कर MBBS की पढ़ाई English Medium से करना कठिन नहीं है : Dr. Dharmendra Kumar Manjhi

आज ऐसे ही एक हिंदी मीडियम होने के बाद एबीसीडी से शुरु कर english medium से बहुत ही अच्छे अंकों से MBBS Pass करने वाले डॉक्टर धर्मेन्द्र कुमार मांझी से मिलिए जो इंग्लिश फोबिया के कारण MBBS की पढ़ाई केवल इसलिए करने को तैयार बैठे हैं कि उनके लिए यह संजीवनी बूटी सिद्ध होगी, लेकिन ठहरिए क्या यह उनकी बहुत बड़ी भूल होगी

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

3 टिप्‍पणियां:

  1. संग्रहणीय अंक
    याद घेर लेती है जिसकी
    बनकर अनंत शुभ नील गगन,
    कभी गूंजने लगता उर में
    अनहद गुंजन आलाप सघन!
    आज याद नहीं आया..
    आज स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथी है,
    वे आज ही ताशकंद में हृदयाघात में चल बसे थे...
    जय जवान- जय किसान का नारा दिया था उन्होंनें..
    सादर नमन उनको..

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात, एक से बढ़कर एक रचनाओं से संजोया सुंदर अंक, आभार रवींद्र जी !

    जवाब देंहटाएं

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