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शनिवार, 16 दिसंबर 2023

3976 ...सांसें हैं लिया करो

 सादर अभिवादन

ईश्वर तुम्हारा भला करेगा। 
साधु ने पुकार लगाई।

किसान सहसा बाहर आया। उसने साधु के लिए ओसारे में चादर बिछाई। 
और साधु से विनती की,कि साधु महाराज, पधारिए! विराजमान होइए।' 
किसान ने साधु को प्रणाम किया और मुड़कर पत्नी को आवाज दी!

'लक्ष्मी, बाहर साधु जी आए हैं। इनके दर्शन कर लो। 
किसान की पत्नी तुरंत बाहर आई। 
उसने साधुजी के पाँव धोकर दर्शन किए।'

किसान ने पत्नी से कहा - 'देख लक्ष्मी, साधुजी बहुत भूखे हैं। 
इनके भोजन की तुरंत व्यवस्था करना। अंजुलि भर मोती लेकर पीसना, 
और उसकी रोटियाँ बनाना। तब तक मैं मोतियों की गागर लेकर आता हूँ।'

अब देखिए रचनाएं



जवाब आ जायेगा।
गुफ्तगू किया करो।।

चाक है ,नुमायां है।
गरेबां सीया करो।




धरती घूमती रहती हर-पल
सूरज-चन्द्र ना रुकते इक पल
हल-चल में ही जड़ और चेतन
उद्देश्यपूर्ण ही उनका लक्षण.
सदैव कार्यरत धरा-गगन है





“हुजूर! मैं चुपचाप अपनी राह जा रहा था, बिल्कुल गाय की तरह,” खूकिन ने अपने मुंह पर हाथ रखकर, खांसते हुए कहना शुरू किया, “मिस्त्री मित्रिच से मुझे लकड़ी के बारे में कुछ काम था। एकएक, न जाने क्यों, इस बदमाश ने मरी उंगली में काट लिया।..हुजूर माफ करें, पर मैं कामकाजी आदमी ठहरा,… और फिर हमारा काम भी बड़ा पेचिदा है। एक हफ्ते तक शायद मेरी उंगुली काम के लायक न हो पायेगी।क मुझे हरजाना दिलवा दीजिए। और हुरूर, कानून में भी कहीं नहीं लिखा है कि हम जानवरों को चुपचाप बरदाश्त करते रहें।..अगर सभी ऐसे ही काटने लगें, तब तो जीना दूभर हो जायेगा।”




कितने रास्ते तय करे आदमी
कि तुम उसे इंसान कह सको?
कितने समन्दर पार करे एक सफेद कबूतर
कि वह रेत पर सो सके ?
हाँ, कितने गोले दागे तोप
कि उन पर हमेशा के लिए पाबंदी लग जाए?




ठंड और भूख से हुई मौत
कभी सरकार मानती नहीं।
बिन आधार के अब तो वह
किसी को भी जानती नही।
आधार नही तो अनाज नहीं
कम्बल और आवास नही।
भात-भात कहते 'संतोषी' का स्वर गया.
फिर देखो एक गरीब मर गया।


ये है मोदी जी की ग्रेट कार्यशैली!!
एक तीर से कई लक्ष्य को सिद्ध करना... 
अपने खुद के ही उदाहरण से प्रेरणादायक... 
अग्रणी रहना...

ऐसी ही होती है


           
आज बस
कल फिर
सादर


3 टिप्‍पणियां:

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