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बुधवार, 29 नवंबर 2023

3959..फितरतें कैसी-कैसी...


"उषा का उजला अँधेरा

तारकों का रूप लेकर

दूध की हर बूँद पर

कुर्बान था, तारुण्य देकर !

दूर पर ठहरे बिना वह

विन्ध्य झरना झर रहा था,

मथनियों के बिन्दु-शिशु-मुख

बोल अपने भर रहा था !"

 माखनलाल चतुर्वेदी

सुहानी भोर की चंद पंक्तियों संग प्रस्तुति क्रम को आगे बढ़ाते हुए,✍️

इज़हारे ख़्याल 

सब ख़ता इसमें आदमी की है,

साँस उखड़ी जो ये नदी की है।

वो जो सच की दुहाई देता था,

झूठ की उसने पैरवी की है।

धूप का क्यों न ख़ैर मक़्दम हो..

❄️

पूर्व-स्मृतियाँ 

 उन दिनों प्रेम को केवल

 कैवल्य की पुकार सुनाई देती थी 

परंतु उसके पास

एकनिष्ठता के परकोटे में अकेलापन..

❄️

साथ साथ

अलसाई सुबह की अंगड़ाई लेती चुस्की l

नचा रही मन पानी दर्पण अंतराल साथ l

भींगी ओस नमी ख्यालों की ताबीर खास l

मूंद रही नयनों को जगा रही फूलों साथ ll

❄️

26 /11 की स्मृति में

26 नवम्बर मेरे लिये विशेष है . आज ही मेरे बड़े पुत्र प्रशान्त का जन्म हुआ . लेकिन आज का दिन मेरे साथ पूरे देश के लिये भी विशेष है..

❄️

फितरतें कैसी-कैसी


पढाई के उन कातिल दिनो में जब एग्ज़ाम से पहले खाना खाने में भी लगता कि टाइम वेस्ट हो रहा है मेरा दिमाग कुछ ज्यादा जाग्रत हो उठता और क्रिएटिविटी..

।। इति शम।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'✍️


2 टिप्‍पणियां:

  1. अनमोल अंक है आज का
    आभार आपको
    सादर व शुभकामनाएं
    सादर वंदे

    जवाब देंहटाएं
  2. अनमोल अंक है आज का
    आभार आपको
    सादर व शुभकामनाएं
    सादर वंदे

    जवाब देंहटाएं

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