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शनिवार, 18 नवंबर 2023

3948 ...आज से 36 घंण्टे का तप शुरू

 सादर अभिवादन

खरना आज नहाय-खाय के निपट गया कल
आज से 36 घंण्टे का तप शुरू
सभी व्रती बहनों को शुभकामनाएं
आइए रचनाएं पढ़ें...




तुम ही तो खुशबू रंग हो
हर ओर फैली वादियों में
जल की कल-कल धार हो
तुम मेरी शीतल छाँव हो




ढेरों प्रश्न-उत्तर
अनुत्तरित कतार में खड़े थे
अनगिन शब्द व वाक्य
अधरों के द्वार पर अड़े थे
मन में भावों का झंझावात था
तन की हरकतों में चक्रवात था





आपके टुकड़ों के टुकड़े कर दिये जायेंगे पर
आपकी ताज़ीम में कोई कसर होगी नहीं

सिर्फ़ शायर देखता है क़हक़हों की अस्लियत
हर किसी के पास तो ऐसी नज़र होगी नहीं





है आलोकित
कण-कण ये जग
सृष्टि समूह
दिखे सब जगमग
दीप उड़े दुर्लभ पंखों संग
नभ अम्बर के पार
सखी देखो सुन्नर नार।





यहाँ मैं डेंटिस्ट की कुर्सी पर बैठी हूँ, और मैं ही हूँ जो डेंटिस्ट से कह रही हूँ कि बिना 
अनेस्थेसिया कर के देखते हैं, कहाँ तक दर्द बर्दाश्त हो सकता है।
आँख के ऊपर तेज़ रोशनी होती है। तो आँखें ज़ोर से भींच के बंद करती हूँ। कुर्सी के हत्थों 
पर हाथ जितनी ज़ोर से हो सके, पकड़ती हूँ। साँस गहरी-गहरी लेती हूँ। डॉक्टर कहता है, 
रिलैक्स।बिना ऐनेस्थेटिक। जिसको हम मन का happy place कहते हैं। 
ज़ोर से आँख भींचने पर दिखता है। साँस को एक लय में थिर रखती हूँ।



छठी माँ
आशीष देना
हर व्रती के द्वार मंगल,
हम चढ़ाएंगे
तुम्हें पकवान
सुन्दर पुष्प, शतदल,
मन तुम्हारी
आस्था में
तन नदी के जल नहाये.


आज बस
कल  फिर मिलेगे
सादर

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात!
    विविध रचनाओं से सज्जित सुंदर अंक!
    मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत आभार यशोदा जी। छठ पर्व पर सभी रचनाकारों को बधाई और शुभकामनाएं 🪔🪔🪔🪔

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