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मंगलवार, 31 अक्टूबर 2023

3930....सोचो जीते-जी...

 मंगलवारीय अंक में आप
 सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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वे अपने हृदय की आवाज़ सुन नहीं सकते शायद...
अपनी धमनियों में गूँजते रक्त के नगाड़ों की गरज सुनाई नहीं देती उन्हें
बेबस,लाचार असमर्थ भीड़ की सिसकियाँ,दर्द में डूबी
चीखें बेअसर हैं...
दिमाग़ में भरा बारूद, बारूद के धमाके से उड़े धुँयें में 
 ख़ून का रंग भी बदल जाता है क्या?
भले ही कानों और आँखों पर मज़हबी पहरे हों 
ज़बान को खून पानी समझ रही हों
बदल गई हों सीमाएँ रातों-रात 
सोचती हूँ
क्या वे मनुष्य ही हैं
जो लाशों के ढेर पर ही
सुकून की नींद सो पाते हैं?
-श्वेता

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करते हैं क्यों हर बात में अमित्र करने की बात कई इंसान,
जो कहते हैं स्वयं को हर बार अहिंसा-पुजारी के कद्रदान ?
सोचो-सोचो जीते जी, करो भलाई किसी अमित्र की भी,
मरने पर ना जा के क़ब्रिस्तान, ना श्मशान, करके देहदान।

झील -ताल
पर्वत, 
ये घाटी, ये देवदार,
केसर, चन्दन
औषधि
नदियों की धवल धार,
तुतलाते
बच्चों सा
इनको कुछ कहने दो.

हवा चले मनभावनी, मुदित हुआ मन आज।
कार्तिक महीना आ गया, सुखद लगे सब काज।।

दीपमालिका आ रही, सजे हाट बाजार।
कार्तिक तेरी शान में, दीप जले दिशि चार।।



मेरा हँसना भी रोना है,तुम्हारी याद में अब
मैं खाता भी हूँ अब आधा निवाला छोड़कर

अधूरी रह गईं कितनी लड़ाई बीच में
तुम्हें जाना नहीं था मुझको तन्हा छोड़कर



अपने गांव छोटे शहरो और आसपास के उन बहुत  सारे लोगों को याद किजिए जो आपसे बहुत पीछे छुट गयें और आप अपनी मेहनत के बल पर उनसे कितना आगे बढ़ गयें । वो लोग जिनसे आप कहतें रहें कि भाई कुछ मेहनत कर लो , पढ़ लो , दिमाग  लगा लो , ढंग का काम कर ले और वो आपकी बात अनसुना कर कहते रहें उनके लिए उतना ही बहुत है । 



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आज के लिए इतना ही
फिर मिलते है 
अगले अंक में।






12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही अच्छे लिंक्स. आपका हृदय से आभार.

    जवाब देंहटाएं
  2. आज के अंक वजन है
    संग्रहणीय अंक
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीया मैम, सादर चरण स्पर्श। एक लंबे अवकाश के बाद ब्लॉग जगत पर सक्रिय हो रही हूँ। बहुत लंबी प्रतीक्षा के बादयहाँ आ कर मन आनंदित है। आज की प्रस्तुति समसामयिक घटनाओं विचार-विर्मश और कार्तिक मास की शोभा सहेजे हुए, अपने आप में विशेष और बहुत सुंदर एवं सशक्त है। त्योहारों की पावन बेला की आप सबको शुभकामनाएं। एक शुभ समाचार भी है, आप सबके आशीष से मैं ने अपना पोस्ट ग्रेजुएशन सम्पूर्ण कर लिया है, बहुत अच्छे रिजल्ट्स आये हैं। घर में आनंद का माहौल है। सोंचा आप सब को बता दूं और आपका आशीष लूँ। आप सबों को पुनः प्रणाम।

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    उत्तर
    1. शुभकामनाएं
      आपका भविष्य उज्जवल हो
      सादर

      हटाएं
    2. अनंत शुभकामनाएं और शुभाशीष सदा तरक्की करते रहें।

      हटाएं
  5. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. सभी स्वस्थ रहें सुरक्षित रहें........... लिखते रहें

    जवाब देंहटाएं
  7. देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूं।
    ठोस आरंभ से पूरी प्रस्तुति शानदार है।
    सभी रचनाएं पठनीय सार्थक।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरी रचना को लिंक पर रखने के लिए हृदय से आभार।

    जवाब देंहटाएं

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