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शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2023

3926....कहाँ तक वे नज़रें चुरायेंगे...

 शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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कभी जब मन उदास हो तो  कुछ भी नहीं अच्छा नही लगता और कभी नभ में उड़ता अकेला पक्षी भी मन को आशा से भर देता है। इसी तरह किसी की लिखी अच्छी, रौशन बातें पढ़कर भी मन उत्साह से भर सकता है। 
नकारात्मकता की भीड़ को परे धकेलकर
आइये क्यों न कुछ सकारात्मकता आत्मसात करें-
अपने जीवन में अच्छे बुरे बदलाव का कारण सिर्फ़ और सिर्फ़ हम स्वयं होते हैं। दुनिया हमारे अनुसार चलेगी ऐसा सोचने से बड़ी बेवकूफी कुछ नहीं है।
कहीं पढ़ा था-
"जब आप उड़ने के लिए पैदा हुए हो, तो जीवन में रेंगना क्यों चाहते हो?"
“तुम सागर की एक बूंद नहीं हो। तुम एक बूंद में सारा सागर हो।”
"अपने शब्दों को ऊँचा करो आवाज को नहीं! बादलों की बारिश ही फूलों को बढ़ने देती है, उनकी गर्जना नहीं।"
दुनिया की परवाह करके दुखी होने से बेहतर है स्वयं से प्रेम करो, आनंद में रहो।
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आइये आज की रचनाओं का आनंद लें-


यहां सभी के टाइमलाइन 
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कुछ बनावटी हैं अनकहे जज्बातों को, 
कुछ अपने अनकहे जज्बातों को, 
कुछ अपने अनकहे जज्बातों को, कुछ धरती के मनोरम सौंदर्य का वर्णन करते हैं, 
कुछ कटु वर्णों से तेजाब लिखते हैं 

कुछ प्रेम का सुंदर आबास रचित हैं 
कुछ दबे कुचले लोगों की आवाज़ लिखी हैं 
कुछ प्रेम का सुंदर आबास रचित हैं 
कुछ दबे कुचले लोगों की आवाज़ लिखी हैं कुछ प्रेम का सुंदर आबास ने लिखा है 

जिसे गुनगुनाना चाहता है हरदम मैं
हमदम तू बिल्कुल वह ग़ज़ल सा है। 

निहारता हूं अकेले में बार-बार चांद को
देखता हूं वो तेरी किसी झलक सा है।




छुपे लें वो चेहरा जहां से भले ही
कहां तक ​​वो नजरें चुराएंगे लेकिन।

जला कर बहुत खुशियाँ हैं वो वैभवशाली महल
कैसे अपने बचाएंगे लेकिन।




सबा की आवाज की खनकअजीब सी एक बेचैनीएक कसक और कसमसाहट के साथ ही उसकी लेखनी मुझे खींच कर ले गई उस अपनी जिन्दगी की खुशनुमा वादी में..जहाँ शायद भाव यूँ ही गुनगुनाये थे मगर शब्द कहाँ थे तब मेरे पास. न ही सबा की लेखनी की वो बेसाखियाँ हासिल थी उस वक्त....जिसकी मल्लिका सबा निकली. वो यादें तो मेरी थीं और हैं भी. उन पर सबा का कोई अधिकार नहीं तो उनमें डूबा मैं तैरता रहा मैं हर पल तुम्हें याद करता...।


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आज के लिए इतने ही
मिलते हैं अगले अंक में
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5 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर अग्रलेख के साथ
    पठनीय रचनाओंं का अंक
    आभार...
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आज के इस बेहतरीन अंक में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही उत्कृष्ट लिंकों के साथ लाजवाब प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं

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