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शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

3846....क़लम,आज उनकी जय बोल

शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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देश को आज़ादी मिले 76 बरस पूरे हो रहे हैं । स्वतंत्रता सेनानियों के सदियों के संघर्ष, बलिदान और दृढ़ संकल्प से हमें प्राप्त हुआ है यह स्वर्णिम दिन।
आज का यह अंक उन सभी ज्ञात एवं अज्ञात शहीदों के नाम है
जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अकल्पनीय प्रयास किए
और हँसते-हँसते प्राण न्योछावर कर गये।
आइये झंडा फहराने के पूर्व उन्हें श्रद्धा पूर्वक नमन करें
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राष्ट्र बलिदानों का कर्ज़दार है 
करबद्ध नत हिय श्रद्धाहार है
प्रथम नमन है वीर सपूतों को
जो मातृभूमि के खरे श्रृंगार हैं।
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करती हूँ प्रणाम उनको,शीश नत सम्मान में है,
प्राण दे,इतिहास के पृष्ठों में अंकित हो गये
जिनकी लहू की बूँद से माँ धरा पावन हुई
माटी बिछौना ओढ़ जो तारों में टंकित हो गये।
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धन्य धरा,माँ नमन तुम्हें करती है
धन्य कोख,सैनिक जो जन्म करती है।
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 सुनो सैनिक
तुम्हारे रक्त का चंदन
लगाकर मातृभूमि
शृंगार करती है।
कहानी शौर्य की
अविश्वसनीय वीरता की
गाथाएँ अचंभित,
सुनकर, पढ़कर, गर्वित होकर  
श्रद्धानत वंदन
भीरू मन को भी
धधकता अंगार करती है।
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"जननी जन्मभूमिश्च स्वार्गादपि गरयसि।"
अर्थात्  माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर है।
     ‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशां होगा।
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आज के सभी सूत्र इस एक कविता में है-
हुंकार (रामधारी सिंह दिनकर)
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कलम, आज उनकी जय बोल

जला अस्थियाँ बारी-बारी
छिटकाई जिनने चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल।
कलम, आज उनकी जय बोल।

जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए, किसी दिन माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल।
कलम, आज उनकी जय बोल।

पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
उगल रहीं लू लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल।
कलम, आज उनकी जय बोल।

अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा?
साखी हैं उनकी महिमा के सूर्य, चन्द्र, भूगोल, खगोल।
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और चलते-चलते सुनिये


 आज के लिए इतना ही

कल का विशेष अंक लेकर

आ रही हैं प्रिय विभा दी।


7 टिप्‍पणियां:

  1. जबरदस्त अंक
    भारत रत्न अटल जी की रचना पसंद आई
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. राष्ट्र बलिदानों का कर्ज़दार है
    करबद्ध नत हिय श्रद्धाहार है
    प्रथम नमन है वीर सपूतों को
    जो मातृभूमि के खरे श्रृंगार हैं।
    भारत माँ के वीर सपूतों एवंअमर शहीदों के सम्मान में अद्भुत एवं प्रेरक भूमिका के साथ लाजवाब प्रस्तुति।
    मेरी रचना को भी विशेषांक में सम्मिलित करने हेतु सस्नेह आभार एवं धन्यवाद प्रिय श्वेता ! सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रिय श्वेता,आजादी का मोल अपने प्राणों से चुकाने वाले अमर बलिदानियों को समर्पित ये अविस्मरणीय अंक अपने आप में बहुत विशेष और महत्वपूर्ण है।जो राष्ट्र अपने बलिदानियों को भुला देता है और इतिहास से अनभिज्ञ वह कभी तरक्की नहीं कर सकता।इस आज़ादी और देश की सुरक्षा की जिम्मेवारी का निर्वहन करने के लिए एक सैनिक कितने मर्मांतक पड़ावों से गुजरता है ये वही जान सकता है।हम आम जन तो उनके कारण चैन की नींद सो रहे हैं यही ज्ञात है बस।कोई भी लेखनी उनके बलिदान को लिखने में सक्षम नहीं।सच है यही खरे शृंगार हैं माँ भारती के।बहुत ही प्यारे शब्दों में भूमिका के माध्यम से वीरों की अभ्यर्थना की है तुमने।सभी रचना कारों ने बहुत ही भावपूर्ण और संवेदनशील रचनाएँ लिखी हैं सबने।सबको स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं बधाई।अमर वीरों को कोटि-कोटि नमन 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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