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सोमवार, 17 जुलाई 2023

3821 ..कोई भी नहीं चाहिए प्रश्न अभी

 सादर नमस्कार मास श्रावण का प्रथम पक्ष जाने को है एक प्रश्न है चारा डालने का सो डाला है अभी देखिए रचनाएं ....






तुम्हें पता नहीं है 

तुम बहुत दिनों से मुस्कुराए नहीं हो 

खिल जाता था तुम्हारा चेहरा 

पहले जिन्हें देखकर 

अब हँसना तो दूर 

लगता है नाराज़ हो किसी से 




भीगा सा एहसास ...




क्षण भंगुर है ये ज़िन्दगी, इक बूंद
अनजान  दर्द में, पलकों से गिरना है जाने,

मुंह फेर कर तन्हां जी न सकोगे,
ज़िद्द ठीक नहीं, वक़्त यूँ भी बिसरना है जाने,


तुम शहर !
घात लगा-लगाके
जाँचते रहे 
दबोचने के लिए 
खेत के गेहूँ 
चूस लेने को सारा
गाँव का लहू 





किसी काम को टालने के विभिन्न कारण हो सकते हैं, जैसे नकारात्मक परिणाम, असमंजस, आलस, जानकारी-समय-धन-आत्मविश्वास का अभाव ! पर शायद सबसे बड़ी वजह होती है, 
भय! डर, किसी अनहोनी का ! जो कहीं मन की गहराइयों में दबा-छिपा बैठा रहता है 
और वक्त-बेवक्त अपना सर उठाता रहता है ! यह जानने के बावजूद भी कि 
इस काम को टालने के नकारात्मक या गलत परिणाम भी हो सकते हैं, 
भय के कारण उस काम को टालते रहा जाया जाता है ! इसको एक तरह की 
बिमारी भी कह सकते हैं,  जो धीरे-धीरे आदत में शुमार होती चली जाती है !  


कोई भी
नहीं चाहिए
प्रश्न अभी
घिरी हुई हूँ
अभी मैं बहुत से 
प्रश्नों से घिरी
नहीं न जीना 
चाहती मैं......ये 
छटपटाती ज़िन्दगी


आज बस
कल फिर मिलेंगे
सादर





1 टिप्पणी:

  1. सुप्रभात! गाँव से मिले, प्रश्न अभी नहीं चाहिए सो नहीं किया, वाक़ई टालना नहीं चाइए किसी बात को और ख़ास तौर पर जब मामला आँखों का हो, बरसात के मौसम में सभी कुछ भीगा सा है, सो अहसास भी भीग जायें, क्या हर्ज है, कुल मिलाकर बढ़िया प्रस्तुति, आभार दिग्विजय जी 'मन पाये विश्राम' जहां को भी शामिल करने हेतु !

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