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शनिवार, 29 अप्रैल 2023

3742 ... रपट

  हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...   

रपट

किसी रास्ते का मुश्किल होना उसे ‘दुर्गम’ बनाता है। दार्शनिक अर्थों में राह को लें तो राह भी ‘दुरूह’ हो सकती है, मगर चलने जैसी भौतिक क्रिया के अर्थ में राह कठिन, मुश्किल, दुर्गम हो सकती है, मगर दुरूह नहीं। हिन्दी के नामवर लोग भी ‘दुरूह’ का कठिन के अर्थ में ही इस्तेमाल करते हैं। ठाठ से लिखते हैं- “यह रास्ता दुरूह है।” जबकि लिखना चाहिए, “यह रास्ता दुर्गम है।”

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 डॉ. राज नारायण शुक्ला ने कहा कि किसी कहानी, उपन्यास या कविता की रचना करते हुए जीवन के आदर्शों को साथ लेकर चलना बड़ा दुरूह कार्य है, और उपन्यासकार रविंद्र कांत त्यागी ने यह कर दिखाया है।  समारोह अध्यक्ष सुप्रसिद्ध साहित्यकार विभूति नारायण राय ने कहा, एक लेखक का दायित्व है कि समाज की वर्तमान कुरीतियों पर और जनमानस की समस्याओं पर भी लेखन का कार्य करे। जनमानस से जुड़कर ही अच्छे साहित्य की रचना की जा सकती है।

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 युवा समाज में वृद्ध आउटडेटेड सामान की तरह तग़ाफ़ुल के शिकार हैं। स्वयं वृद्धों में भी वार्धक्य के प्रति शुभ दृष्टि नहीं होती । बुढ़ापा  कविता में कवि ने अद्भुत संतृप्त अवस्था का वर्णन किया है । वृद्धत्व की धन्यता निम्नोक्त पङ्क्तियों में देखें– चमड़ी पर बढ़ती झुर्रियों के साथ। समतल होती जाएँ जब। सलवटों से भरी। शिकन जिंदगी की।सफेद होते चले जा रहे केशों के साथ। मिटती जायें जब । मन पर पुतीं। कालिख की परतें।….दिखने लगे जो कुछ हासिल हुआ उसके आर पार। 

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 इस प्रकार विजेन्द्र के कविता कर्म का मकसद स्पष्ट है। वे जनमुक्ति का पक्ष चुनते हैं। इसीलिए वे मुक्तिकामी जनता के कवि है। कवि  अशोक चन्द्र ने बीज वक्तव्य में कहा कि विजेन्द्र के पहले कविता संकलन "त्रास" से लेकर हाल ही मे प्रकाशित "ढल रहा है दिन" तक देखे तो कुल जमा दो दर्जन पुस्तकें आ चुकी हैं। इन्हें पढ़ने पर हम   पाते  हैं कि उनकी रचना अग्रगामी रही  है। उनकी कविता  में  पुनरावृत्ति नहीं  होती। यह  जनसरोकारो   से  जुडे  कवि  की आन्तरिक गठन को  भी  प्रदर्शित  करता   है।

विंदा

तुम्हारे पोतने से

बूढ़ा चूल्हा फिर से एक बार लाल हो जाता है 

और उसके बाद उगता सूर्य रस्सी पर लटकाए

तीन गंडतरों को सुखाने लगता है

इसीलिए तुम उसे चाहती हो!

बीच. बीच में तुम्हारे पैरों में

मेरे सपने बिल्ली की भाँति चुलबुलाते रहते हैं 

उनकी गर्दनें चुटकी में पकड़ तुम उन्हें दूर करती हो 

फिर भी चिड़िया . कौए के नाम से खिलाये खाने में

बचा .खुचा एकाध निवाला उन्हे भी मिलता है।

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पुनः भेंट होगी...
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