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शनिवार, 1 अप्रैल 2023

3715... मूर्ख दिवस


 हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...

मूर्ख दिवस की शुरुआत साल 1381 से मानी जाती है. इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी ने सगाई का ऐलान किया और कहा कि सगाई 32 मार्च 1381 को होगी। इस ऐलान से आम जनता इतनी खुश हुई कि उसने खुशियाँ मनाना शुरू कर दिया। हालांकि बाद में उन्हें एहसास हुआ कि वह बेवकूफ बन गए हैं क्योंकि कैलेंडर में तो 32 मार्च की तारीख ही नहीं आती। माना जाता है कि उसके बाद से ही हर साल एक अप्रैल को लोग Fool's Day के रूप में मनाने लगे।नकली नायकों को पर्दे पर दिखाकर

देवताओं की तरह उनका नाम जपायें।

बेकसूर रहें खौफ के साये में

कसूरवार जेल में भी जश्न मनायें।

सजाया है बाजार ने पर्दे पर खेल

उसमें आम इंसान अपनी नज़र गंवायें।

 
आज जग को है, पढ़े  लिखे से भी ज्यादा जरूरत मूर्खों की,
अगर ऐसा नहीं हुआ तो दोस्तों रूठ जायेंगे बसंत बहार
उन्हें मूर्ख बनाने में उसे कभी कोई विशेष मजा नहीं आया। आस-पड़ोस में भी किसी को बेवकूफ बनाया नहीं जा सकता, उसके घर की हर बात ही तो पड़ोसन जानती है। फिर क्या किया जा सकता है? किसी सरल स्वभाव वाले को छलने में ही आनंद आता है। सुबह वह नई ताजगी लिए हुए बिस्तर से उठी।
यूँ कब तक  ज़िन्दगी को,
गम्भीरता से जीते रहेंगे
इसे तो बेफिकरे बनके,
बिंदास बिताना चाहिए
हाँ अपनों से मूर्ख बनके
अप्रल फूल मनाना चाहिए

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पुनः भेंट होगी...
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8 टिप्‍पणियां:

  1. जय हो, विजय हो
    बेहतरीन अंक
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  2. थोड़ा बेफिक्र होकर ही जीने में मजा है ...

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर लेख के लिए आपका हृदय से धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

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