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मंगलवार, 28 मार्च 2023

3711 ...मैं नीर भरी दुख की बदली

 सादर नमस्कार

आज गेंद मेरे पाले में
कोई बात नहीं..सब अलाऊ है
अब देखें रचनाएं


देखने में जितनी ही सादा सरल व्यक्तित्व, उतनी ही उच्च प्रतिभा। महादेवी वर्मा , यह नाम किसी भी परिचय का मोहताज नहीं। छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हिंदी भाषा की महान कवयित्री, महादेवी वर्मा जिन्हें हिंदी की सबसे सशक्त कवयित्रीयों में से एक होने के गौरव प्राप्त है। आधुनिक हिंदी की सबसे सशक्त कवयित्री होने के कारण उन्हें 
"आधुनिक मीराबाई" के नाम से भी जाना जाता है।


उनकी एक रचना जो स्कूली पाठ्यक्रम में है


मैं नीर भरी दुख की बदली!
स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसा
क्रन्दन में आहत विश्व हँसा
नयनों में दीपक से जलते,
पलकों में निर्झारिणी मचली!





चंद्रमा  घटता  है  बढ़ता
फिर  भी  होता  न  क्षरण
दृष्टिगत  होती  कलाये  
है  साधना का  यह चरण
 तिमिर  पल  पल  गल रहा  हो
दीप  कोई  जल  रहा  हो
रोशनी  के  गीत  गा  के
कर्म  से प्रीति लगा के  
प्यार ले लेता  शरण





जींस अउर टॉप बलम हम  पहिरब‌इ
 अंगरेजी कट में हम बाल बनव‌उब‌इ
बोली बोलब अंगरेजी
बलम अंग्रेजी सिखाइद......2




एक चिट्ठी गुम नाम पते पर
लिखनी है मुझे
उसके नाम जिसने
गिरवा दिया था
मेरे माथे पर
एक रंग सिंदूरी
और आती रही उससे गंध
बरसों तक जख्मों की





छठ पर्व में 'छठ'  षष्ठ का अपभ्रंश है। छठ पर्व चैत्र  कृष्णपक्ष तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाता है अतः षष्ठी को यह व्रत मनाये जाने के कारण इसका नामकरण छठ व्रत पड़ा।


आज के लिए बस
सादर

3 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया आपके पाले में गेंद रहता है

    सामयिक लिंक्स का चयन

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया पोस्ट.. छठ पूजा और भोजपुरी दो अलग-अलग लिकों पर, जिसको यहां आपने एक साथ प्रस्तुत किया है, लाजवाब पोस्ट।

    इस संगम में मेरी पोस्ट साझा करने के लिए हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं

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