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सोमवार, 13 मार्च 2023

3696 ...आंखें मूंद लेता है कुछ थककर कुछ नई उम्मीद लिए

सादर अभिवादन
आज दीदी नहीं है
हुआ कुछ नहीं पर कह रही है
एकाध सप्ताह का आराम चाहिए
चलिए हम हैं न ..पढ़वाएँगे कुछ
उल्टा-पुल्टा देखिए क्या है आज ...

 
दर्द आज भी गरजता है
बरसता है
तिरछी नजरों से देखता है
फिर धीरे धीरे सब स्थिर हो जाता है
मन अपनी आंखें मूंद लेता है
कुछ थककर
कुछ नई उम्मीद लिए !


झरने मंथर कल-कल बहते
मंद चाल सरिता भरती
निर्मल वो आकाश नील सा
धानी चूनर सी धरती
बासंती का नेह झलकता
टेसू से बन-बन दहके।।


रंगों के इस त्यौहार में
कुछ  रंग मैं भी लायी हूं..
लाल गुलाल गालों की लाली के लिए
केसरी तिलक माथे तिलक के लिए  
हरा रंग चंहु  ओर
हरियाली के लिए  सुख -समृद्धि के लिए


जिस्म दो होके भी दिल एक हों अपने ऐसे
मेरा आँसू तेरी पलकों से उठाया जाए।

गीत उन्मन है, ग़ज़ल चुप है, रुबाई है दुखी
ऐसे माहौल में ‘नीरज’ को बुलाया जाए।


आज बस

सादर 

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
    https://www.youtube.com/watch?v=z34Xha_vQFE&t=1s

    जवाब देंहटाएं
  2. जिज्ञासा सिंह13 मार्च 2023 को 12:08 pm बजे

    बहुत ही सुंदर पठनीय सूत्रों की प्रस्तुति!
    सभी रचनाकारों को बधाई💐💐

    जवाब देंहटाएं
  3. शानदार हलचल, सीमित लिंक्स सभी आकर्षक, सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए
    हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  4. उत्कृष्ट लिंकों से सजी शानदार प्रस्तुति...
    आपका उल्टा पुल्टा भी इतना सुंदर हमेशा की तरह लाजवाब।

    जवाब देंहटाएं

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