---

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

3679 ..कल्पित भय दिखाकर आस है कि तुम फिर चले आओगे।

 सादर अभिवादन

आज सखी श्वेता अपरिहार्य कारणों से
नहीं आएगी सो हम हैं न

कहते हैं कि प्रजा का भाग्य उसके राजा से जुड़ा हुआ होता है और यदि राजा का भाग्य अच्छा हो तो वहां की प्रजा सम्पन्न और खुशहाल रहती है भारत जैसे विविध प्रकार की भौगोलिक संरचना वाले देश में कीमती खनन मिलना भी देश के नेतृत्व की किस्मत से जोड़ा जा सकता है जम्मू कश्मीर में लिथियम के 32000 अरब रुपए के भंडार मिलना यही इंगित करता है 90 के दशक में वहां लिथियम के भंडार मिलने की संभावना बताई गई थी लेकिन लालफीताशाही के कारण फाईल सरकारी विभागों में चक्कर काटती रही और अब लिथियम का बेशकीमती भंडार भारत को तब मिला है जब भारत को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है मोबाइल के अलावा भारत अगले कुछ सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए तैयार है लेकिन उसके लिए प्रयुक्त होने वाले लिथियम के लिए भारत को चीन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था लेकिन अब भारत खुद लिथियम उत्पादन के लिए ना केवल आत्मनिर्भर हो गया है बल्कि अब वो अन्य देशों को निर्यात करने की स्थिति में है अब भारत चिली के बाद लिथियम (जिसे मै सफेद सोना कहना चाहता हूँ) का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है 2023 की संभवत भारत के लिए यह सबसे बड़ी अच्छी खबर है 33000 लाख करोड़ रुपये का भंडार आप गिनते गिनते थक जाएंगे यह इतनी बड़ी धनराशि हैं कश्मीर पर आजतक जितना निवेश किया गया था उससे कई गुना अधिक है यह कीमत 

सभी राष्ट्रभक्तो को बहुत बहुत बधाई  

रचनाएं देखिए..
 


राष्ट्र में कालाबाजारी वाले जब
धरे -पकडे जाते !
कोने -कोने  से हवाओं में
दुर्गन्ध आतीं !
*
शिक्षा -पुलिस -सेना आदि में
जब फेल आ जाते
तब बीटेक -एमटेक वाले भी
घबरा जाते !




इसकी उत्पत्ति के बारे में एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है जिसके अनुसार राजा सत्यव्रत ने एक बार अपने गुरु वशिष्ठ से सशरीर स्वर्ग में जाने की इच्छा व्यक्त की जिसे गुरु वशिष्ठ के नकार देने पर नाराज सत्यव्रत ऋषि विश्वामित्र के पास चले गए ! वशिष्ठ से प्रतिस्पर्द्धा होने और उन्हें नीचा दिखाने का अवसर होने के कारण विश्वामित्र ने राजा सत्यव्रत की बात स्वीकार कर अपने तपोबल से उन्हें स्वर्ग भेज दिया ! इस पर इंद्र क्रोधित हो गए और उन्होंने सत्यवर्त को स्वर्ग से बाहर धकेल दिया पर ऋषि के तपोबल से वह पृथ्वी पर ना आ स्वर्ग और धरती के बीच त्रिशंकु हो उलटे लटकते रह गए ! कथा के अनुसार देवताओं और विश्वामित्र के युद्ध के बीच त्रिशंकु धरती और आसमान में जब उलटे लटक रहे थे तभी इसी बीच उनके मुंह से तेजी से लार टपकने लगी और यही लार धरती पर नदी के रूप में बहने लगी, चूँकि ऋषि वशिष्ठ ने राजा को चांडाल होने का शाप दे दिया था और उनकी लार से नदी बन रही थी, इसलिए इसे शापित कहा और मान लिया गया !




एक औरत दूसरी से तुम क्या करती हो...? मैं एक गृहणी हूँ. हाँ वो तो ठीक है, पर तुम करती क्या हो.? ‘आई मीन यू नो’...? तुम घर में कैसे रह लेती हो यार, मेरा तो जी घबराता है, बुखार आजाता है. अच्छा, तो तुम क्या जंगल में रहती हो.? व्हाट रबिश... मेरे कहने का मतलब था कि "घर के काम एंड ऑल" ओह.! तो उसमें क्या है, तुम जैसों के लिए घर को घर बनाते है और क्या. अरे घर में काम ही क्या होता है.आजकल तो सभी घरों में अधिकतर झाड़ू पोंछे और बर्तन के लिए बाई लगी होती है. बस सिर्फ खाना ही तो बनाना होता है और थोड़ी बहुत साफ सफाई, बस और तुम फ्री.अच्छा...! तुम्हें कैसे पता कि उसके बाद हम फ्री..?






"कभी विद्यालय के शिक्षक और छात्राओं के साथ इसे यहाँ आने की अनुमति मिली थी। इसे यह जगह इतनी पसंद आई थी कि इसने अपनी सखियों के सामने कहा कि यह पुन: आएगी। इसके घर में घुमक्कड़ी का किसी को ना तो शौक था और ना इसे बाहर वालों के साथ कहीं जाने की अनुमति मिलती थी। बहुत ज़िद करने के बाद तो इसे यहाँ आने दिया गया था। उसी साल इसके पिता का तबादला उस इलाके से बहुत दूर हो गया। इसके अभियंता पति को यात्रा का शौक तो था, तभी तो यह पूरा देश घूम चुकी है।




पीली-नीली ओढ़ चुनरिया,हंस रही धरती रानी।
सारी दुनिया से लगे निराली,जैसे कोई महारानी।
पहनी फूलों का प्यारा हार,देखो फागुन आया है।




शिशिर ने बसंत को सौंपी थीं  
मौसम की मासूम धड़कनें
अवनि-अंबर में छट गईं
कोहरे की क़ाएम अड़चनें
फाल्गुन, चैत्र महीने

आज बस
सादर

5 टिप्‍पणियां:

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।