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गुरुवार, 9 फ़रवरी 2023

3664...अख़बार तो तटस्थ होता है न!

शीर्षक पंक्ति आदरणीया विभा रानी श्रीवास्तव जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ।

आइए पढ़ते हैं आज की चुनिंदा रचनाएँ-

प्यार

साफ स्वच्छ  देखा है इसे 
कुहासे में बरखा की बूँद  सा 
धुंधले में धुला
कांच का वर्तन सा ।

प्रेम बचा रहता है

तुम बचे रहोगे मेरे शहर के ग्रंथालय के

उन अलमारियों में जहांँ से पढ़ी थी

मैंने कविताएंँ विस्थापन के दर्द की

 फिजूल का प्रेम

दिन में कई बार चाय पी

बादल थे नहीं आकाश में

लेकिन बारिश की

बाट जोहती रही

 परस्परवाद

"अख़बार का प्रकाशन... एक धंधा है... व्यापार है...। मालिक को अख़बार चलाना है तो उसे भी पैसा चाहिए..!" मित्र ने कहा।

"अख़बार तो तटस्थ होता है न! जो आँखों देखता है उसे समाजहित में यानी समाज को सही दिशा देने की दृष्टि से ईमानदारी से पत्रकारिता का दायित्व निभाना होता है..।" नेता जी ने कहा।

आज फेसबुक पर ''सभी मर्द एक जैसे होते हैं'' को लेकर कुछ यूं पढ़ा...आप भी देखें

वही मर्द ना जो प्रेमी बनकर पूरी दुनिया को भूलाकर बस तुमसे मोहब्बत करता है तुम्हारे हर झूठे तुम्हारे हर कहानी की बातों को सच मानकर तुमसे बेइंतेहा इश्क करता है वह तुम्हारी झूठ में भी खुद के लिए सच खोज लिया करता है 

पुस्तक समीक्षा - बॉयफ्रेंड ऑफ ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी

"सत्य का ईंधन कभी खत्म नहीं होगा परंतु झूठ के डीज़ल से चलने वाली बाइक एक न एक दिन अवश्य रुक जाएगी। तब तक सत्य अपनी उतरी हुई साइकल की चैन बनाने व्यस्त रहेगा। संभव है तबतक झूठ की यह डीज़लवाली बाइक हमारे शुद्ध वातावरण में इतना विष घोल चुकी होगी कि सत्य रुपी साइकल के पहीए में अशुद्ध हवा भरने के अलावा हमारे पास कोई और दूसरा विकल्प शेष नहीं बचेगा।"
*****

फिर मिलेंगे।

 रवीन्द्र सिंह यादव 

7 टिप्‍पणियां:

  1. आज का अंक
    बहुतै सुंदर है
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार
    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. अंक के सभी वेहतरीन रचनाओं के रचनाकरों को बधाई, विशेष प्रेम पर विशुद्ध प्रेम के साथ सृजन हुआ है

    मेरी रचना को सम्मलित करने हेतु आभार यादव ज़ी

    जवाब देंहटाएं
  4. धन्‍यवाद रवींद्र जी, मेरी पोस्‍ट को साझाा करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं

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