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सोमवार, 6 फ़रवरी 2023

3661 ..किसी को पा लेना क्या होता है यह भी अभी अबूझ ही है

 सादर नमस्कार

संगीता दीदी दो सप्ताह के अवकाश पर है
सो आज हम हैं...सह लीजिएगा

किसी को पा लेना क्या होता है
यह भी अभी अबूझ ही है
जिसे आप सर्वस्व सौंप देते हैं
ज़रूरी नहीं कि
वह इसे आपको पा लेना समझे

सभी के प्रयोजन अलग होते हैं।

चलिए चलें अब देखें रचनाएँ ....



आसान नहीं चाहतों को, नज़र अंदाज़ करना,
मुस्कुराते हुए बच्चों को, एक नज़र देखता हूँ,

उम्र तो गुज़री हैं सबारा खंजरी के दरमियान,
क़तरा ए न'दा में, अक्स ए समंदर देखता हूँ,




खिल जाते हैं चेहरे
जब हम सीख लेते हैं
मुसकानों से सँवरना

पास आती हैं खुशियाँ
जब हम सीख लेते हैं
प्रकृति के संग गुजरना




तारों भरी रात में
चांदनी के  साथ में  
बड़ी  सुहानी लगती
नभ की आभा |
चाँद पूरा दीखता
आसपास उसके
अनोखी आभा दिखती  




उस ओर, कहीं ढ़ल रही विभा,
संतप्त पलों के, हर निशां,
बदल रही दिशा,
अब न होंगे, दग्ध ये ह्रदय,
जग उठेंगे हर शै,
हो विभोर!


आज बस
सादर

10 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात!
    सभी लिंक्स पर जाना हुआ सुंदर,सरस रचनाओं का अंक.
    ऋता शेखर मधु जी की.. जीवन जीने की कला सिखाती सुंदर रचना।
    शांतनु सान्याल जी की ज़िंदगी के अफसाने कहती बहुत ही खूबसूरत गज़ल।
    चांदनी रात के परिदृश्य का सुंदर अवलोकन करती आशा लता दीदी की रचना।
    पुरषोत्तम जी की भोर की देहरी पर दस्तक देती सुंदर रचना।
    बहुत आभार, सादर शुभकामनाएं💐💐

    जवाब देंहटाएं
  2. धन्यवाद मेरी रचना को स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर। यशोदा जी को जन्मदिवसस्य शुभाशया:🌹🌹🌹

    जवाब देंहटाएं
  4. बांट देता हूं अक्सर उपहार में मुस्कानों को
    क्योकि यही तो बस बेमोल हैं बाकी सब ..तो मोल से मिलते हैं

    जवाब देंहटाएं
  5. मुझे शामिल करने हेतु असंख्य धन्यवाद, सभी कृतियाँ मुग्धता बिखेरती हुईं, नमन सह।

    जवाब देंहटाएं
  6. लाजवाब प्रस्तुति सभी लिंक उम्दा एवं पठनीय।सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  7. सभी सूत्र सुन्दर,
    शान्तनु सान्याल जी की ग़ज़ल, आशा सक्सेना दी की तारों वाली कविता, पुरुषोत्तम जी की सुहानी भोर...सभी बेहतरीन| सभी रचनाकारों को बधाई!
    हमारी रचना सम्मिलित करने हेतु सादर आभार!

    जवाब देंहटाएं

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