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सोमवार, 30 जनवरी 2023

3654 / फ़िजाएँ बेईमान लगती हैं.

 

नमस्कार !   यूँ आज  शहीद दिवस है ........ महात्मा गाँधी जी की पुण्य तिथि  को  शहीद दिवस के रूप में  मनाते  हैं ...... जब - जब    महात्मा  गाँधी का  नाम आएगा  गोडसे  का नाम स्वयं ही याद आ जायेगा .....  ये ऐसा विषय है जिस पर कुछ न कहा जाये वही बेहतर है  यूँ  मैं गोडसे को हत्यारा  मानती हूँ देशद्रोही नहीं ..... 

खैर ..... आइये चलते हैं आज की हलचल पर ... ............  ब्लॉग्स  पर आने वाली पोस्ट क्या हलचल कर रही है  , यही देखना है ....... आज कल बसंत छाया हुआ है ...... प्रकृति में भी और ब्लॉग्स की रचनाओं में भी . आइये हम भी बसंत का आनंद लें ........ 

और बसंती ऋतु



झुंड में लहरों पे उड़ना

चहचहाना चोंच भरना।

एक लय एक तान लेके

फ़लक पे जाके उतरना॥


नए वर्ष का भी एक माह बीतने वाला है .......मात्र एक दिन बचा है .... और जनवरी का आखिरी इतवार लोग कुछ यूँ मना रहे हैं ....


ऊँची उड़ान


सफर जिंदगी का भाग रहा है

अपने वेग से,

चेहरे पर इस हँसी के पीछे दर्द

बहुत है..

यहां हौसलों ने जिद की है |

ऊँची उड़ान के लिए हौसले और संकल्प की ज़रूरत होती है  , लेकिन बचपन तो बस इन्द्रधनुषी सपनों में रहता है ....... आइये  आज की ही तारिख की एक  पाँच  साल  पुरानी पोस्ट पढ़िए .... 

इंद्रधनुषी स्वप्निल बचपन


सतरंगी धागों का रेशमी इंद्रधनुषी शामियाना
जिसके तले मस्ती मे झुमता एक भोला बचपन ।

सपने थे सुहाने उस परी लोक की सैर के
वो जादुई रंगीन परियां जो डोलती इधर उधर।


हम यहाँ  बचपन के सपनों की रंगीनी से सराबोर हैं  लेकिन आज का बचपन किन परिस्थितियों से जूझ रहा है ये जानना बहुत ज़रूरी है ........ सबको इस विषय में जागरूक रहना आवश्यक है .... विशेष रूप से जिनके बच्चे अभी स्कूल  में पढ़ रहे हैं ........ बहुत बार अनजाने में ही ऐसा कुछ हो जाता है जिससे बच्चे और माता पिता भी परेशानी में आ जाते हैं ....... आइये जानते हैं इसके बारे में ......

वेपिंग…एक नया खतरा !

क्या आप जानते  हैं कि Vape यानि कि E Cigarette क्या है ? मैं तो नहीं जानती थी। यदि आप भी नहीं जानते तो जरा गूगल पर सर्च करिए और जान लीजिए। यदि आपके घर में युवा या टीनएजर हैं तो बैठ कर उनको उसके नुक़सान बता कर सख्त ताकीद करिए क्योंकि ये एक ऐसी लत है जो बहुत तेजी से स्कूल के बच्चों में पैर फैला रही है।

अभी फिलहाल हमारे एक परिचित का बेटा अज्ञानता के कारण मुसीबत में आ चुका है। उसकी क्लास के कुछ बच्चे क्लास में वेप ले रहे थे अज्ञानतावश उसने भी उसकी सुगंध से आकृष्ट होकर ले  ली। टीचर तक बात पहुँच गई और सख़्त एक्शन लिया गया। घर पर खबर भेजी गई। रेस्टीकेट करने की बात चल रही है। बच्चे का कहना था कि वो सुगन्ध से आकर्षित हुआ उसे पता नहीं था कि ये क्या चीज है ? यदि उसे पता होता तो मुसीबत से बच जाता।

पूरी जानकारी लीजिये लेख को पढ़ कर ...... और जहाँ तक हो सके बच्चों को भी इसके बारे में बता कर  आगाह करें ...... जितना ज्यादा ये इ - नेट वर्किंग है उतने ही ज्यादा खतरे बढ़ रहे हैं . नयी नयी तरह की नशे की चीज़ें ईज़ाद हो रही हैं .....हम जैसों को तो कभी कभी पुराना ज़माना ही याद आ जाता है ......

वो फ़ोन कॉल


हमारे समय में कम्प्यूटर नहीं था, नेट नहीं था, मोबाइल नहीं थी। किसी को जरूरी समाचार देना होता तो शहर में हरकारा दौड़ाया जाता, बात दूर, दूसरे राज्य की हो तो टेलीग्राम किया जाता। घर में किसी की बीमारी की खबरें तो खत का हिस्सा भी नहीं बनती थी, साफ छुपा ली जाती। तर्क यह होता, "बिचारे को क्यों परेशान किया जाय? आकर भी क्या कर लेगा!" 

घर में कोई मर जाय तो सीधे टेलीग्राम होता....Come soon. यहाँ भी मौत की खबर छुपा ली जाती, "बिचारा, अधिक दुखी हो जाएगा तो आएगा कैसे?"


कितनी ही बातें यूँ ही याद आ जाती हैं ....... तार का नाम सुनते ही घर में कोहराम सा मच जाता था ....... भले ही कोई ख़ुशी की बात हो ...... वैसे ख़ुशी पर टेलीग्राम  कम ही आते थे ....... अब तो टेलीग्राम का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है ...... सच कितना बदल गया है सब  कुछ ...... यहाँ तक कि इंसान भी ...... 

लोग बदल गए हैं


चिड़िया ने चिड़े से कहा - 

सुना है, लोग बदल गए हैं

और उनकी कोशिश रही है हमें बदल देने की !!!

पहले सबकुछ कितना प्राकृतिक, 
और स्वाभाविक था,
है न ?

बदल तो सच ही बहुत कुछ रहा है ...... हो सकता है कि स्थानों के नाम परिवर्तन से कुछ को आपत्ति हो ........ तो कुछ इसके पक्ष में हों ....... अपनी  राय न रखते हुए बस आप लोगों को इसकी जानकारी मिले इस उद्देश्य से  एक पोस्ट यहाँ  ले कर  आई  हूँ ...... 

अमृत-काल' की 'गणतंत्रीय सूचना' :
प्रतिवर्ष भ्रमणार्थियो के लिए खुलनेवाला 'मुग़ल गार्डन' इस वर्ष  'अमृत उद्यान' (नामांतरण) होने के बाद ही  31 जनवरी 2023 से खुलेगा।

सामान्य जानकारियां शेष नागरिकों के लिए :

1. 'भारतीय राष्ट्रपति भवन' के अंदर, रायसीना हिल्स पर 15 एकड़ में स्थित है मुग़ल गार्डन। 
2. 26 जनवरी 2023 से 'मुग़ल गार्डन' का नाम  'अमृत उद्यान' कर दिया गया है।


शेष जानकारी ब्लॉग पर जा कर लें ........कल  यानि २८ जनवरी को  नर्मदा जयंती थी ..... इस बात की जानकारी मुझे फेसबुक पर एक लेख पढ़ने से हुई ........ और उसके बाद ही ब्लॉग पर माँ नर्मदा की स्तुति में एक खूबसूरत रचना पढ़ने को मिली .... जिसे आप सबके साथ साझा कर रही हूँ ..... 

माँ नर्मदे ! उत्साह का आशीष दो माँ ...


अंतस भरा
तव औज से
मन तम हरा
रव मौज से

श्रद्धा का तुम
अवगाह हो 
भक्ति का नित
प्रवाह हो |

इंसान अपने ही बनाये चक्रव्यूह में  फँसता चला जाता है ........ ईश्वर  के भेजे सन्देश पढ़ ही नहीं  पाता ..... प्रकृति हमें नित नए सन्देश देती है ..... एक खूबसूरत रचना पढ़िए ....

गुंजार


तू जगा रहा है निज गुंजार से 

और हम न जाने

किन अंधेरों में सोए हैं 

एक क्षण के लिए

तुझसे नयन मिलते हैं तो |


किस कदर इंसान हैरान है ... परेशान है कि उसे सब कुछ बेईमान ही लगता है ..... कुछ ऐसा ही कह रही है ये ग़ज़ल ......


फ़िजाएँ बेईमान लगती हैं.


मुकद्दस  हवाएं  भी परेशान लगती हैं।

पातों की खड़खड़ाहट तूफान लगती हैं।

आग से शोर तो लाजमी है  बस्तियों में,

महलों की कैफ़ियत शमशान लगती हैं।

 अब अधिक तूफ़ान को न लाते हुए आज लिंक्स का सिलसिला यहीं ख़त्म कर रही हूँ ........ मिलते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद ...... तब तक के लिए ...... 


नमस्कार 

संगीता स्वरुप .


27 टिप्‍पणियां:

  1. मौन दिवस
    और आज ही गणतंत्र दिवस
    समारोह का समापन भी होगा
    हमारे नए राष्ट्रपति जी का पहला
    गणतंत्र दिवस है,
    अनुपम अंक
    आभार
    सादर नमन

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  2. सुप्रभात! शहीद दिवस पर बापू को विनम्र श्रद्धांजलि, पाँच की जगह सराहनीय रचनाओं के दस लिंक्स, अर्थात बोनस ! मन पाए विश्राम जहाँ को शामिल करने के लिए आभार संगीता जी!

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    1. अनिता जी ,
      आपकी टिप्पणी तो बोनस से भी ज़्यादा वज़न वाली है । सराहना के लिए आभार ।

      हटाएं
  3. सुप्रभात!
    ३० जनवरी... हम सबके थे प्यारे बापू..शहीद दिवस
    पर बापू को विनम्र श्रद्धांजलि💐💐
    "फिजाएं बोलती हैं" की झलकियां मेरी नजर में...
    अहा.. पहली रचना मेरी.. बसंत पर चिड़ियों का आना जाना और मैं।
    रूपा सिंह जी की रचना.. कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देती है..ऊंची उड़ान।
    कुसुम कोठारी जी की रचना..ख्वाबों के दायर पर बचपन की तलाश.. इंद्रधनुषी स्वप्निल बचपन।
    उषा किरन जी वेपिंग के नशे जैसे चिंतनपूर्ण विषय पर ज़रूरी आलेख।
    देवेंद्र पांडे जी का रोचक और यादों का भावुक पिटारा खोलता पठनीय आलेख.. वो फ़ोन कॉल।
    रश्मि प्रभा दीदी की रचना आज के जीवन का कटु यथार्थ..
    लोग बदल गए हैं।
    डॉ राजकुमार जी का.. अमृत उद्यान के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी देता आलेख ।
    तरुण जी की.. मां नर्मदा को समर्पित सुंदर प्रार्थना।
    अनीता दीदी की ..
    ...जीवन के प्रति आस्था और विश्वास जगाती सुंदर रचना.. गुंजार।
    उदय वीर सिंह जी की.. मन के बदलते भावों और एहसासों पर सराहनीय रचना..
    सुंदर और श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिए दीदी का हार्दिक अभिनंदन। "और बसंती ऋतु" को शामिल करने के लिए
    बहुत आभार। सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🌼🌼



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    1. प्रिय जिज्ञासा ,
      सुबह सुबह सारी रचनाएँ पढ़ कर सार्थक प्रतिक्रिया देने के लिए हार्दिक आभार । ऐसे ही हमारा मनोबल बढ़ाती रहना ।

      हटाएं
  4. सदैव की भाँति विशेष दिवस, पर्व, सामाजिक हलचल को ध्यान में रख कर शहीद दिवस से प्रारम्भ अत्यंत सुंदर प्रस्तुति…!
    और बसंती ऋतु-जिज्ञासा सिंह
    ऊँची उड़ान- रूपा सिंह
    इन्द्रधनुषी स्वप्निल बचपन- कुसुम कोठारी
    वो फोन कॉल-देवेन्द्र पान्डे जी
    लोग बदल गए हैं- रश्मिप्रभा जी
    मुग़ल गार्डन बनाम…डॉ. राजकुमार जी
    माँ नर्मदे…- तरुण जी
    गुँजार- अनीता जी
    फिजाएं बेईमान लगती हैं…उदय वीर जी
    मनभावन कविताओं व महत्वपूर्ण जानकारी देते आलेखों के लिए सभी रचनाकारों को बधाई…!
    मेरी भी रचना का चयन करने के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
    हमेशा की तरह गहरे पैठ कर नायाब मोती ढूँढ लाईं संगीता जी का आभार व बधाई 🌹

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उषा जी ,
      आप सब रचनाकार मोतियों को रचते हैं और मैं एक जगह बीन लाती हूँ । 😄😄
      आप जैसे पाठक ही मेरा संबल हैं और ऊर्जा हैं । भावपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए आभार ।

      हटाएं
  5. सर्वप्रथम शहीदी दिवस की शुभकामनाएं...जय हिन्द जय भारत 🇮🇳

    पांच लिंकों के आनंद पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय तल से आभार 🙏

    यूं ही झूमते परिंदों को देख मन प्रफुल्लित हो जाता है वैसे में आपकी ये सुंदर रचना मन को आह्लादित करती हुई...बहुत खूब।

    वो बचपन ही था जब बारिश के पानी और कागज की किश्ती में मन प्रसन्नता की ऊंचाइयां छू लेता था। वो सुख बड़े होने बाद विलुप्त ही हो जाती शायद। बचपन को जीवंत करती सुंदर रचना।

    मुझे भी इस वेपिंग की जानकारी नहीं थी। पहली बार ही आपकी पोस्ट पढ़कर अवगत हुई। ऐसी जानकारी से अवगत कराने के लिए आपका आभार। अभी आपकी पोस्ट शेयर करती हूं और प्रयास करूंगी मैं भी इस टॉपिक पर पोस्ट लिख सकूं।

    देवेंद्र जी, सादर अभिवादन। आपकी पोस्ट में कही प्रतिक्रिया का स्थान नहीं था तो यहीं लिख रही हूं। आपने BSNL की जिक्र की है और मैं BSNL में ही कार्यरत हूं। तकनीकी बहुत तेजी से बढ़ी। हमारी पीढ़ी के लोगों ने अपने सामने टेलीग्राम से मोबाइल तक का सफर देखा है। आशा करूंगी जल्द ही आपको कोई अत्यधिक प्रसन्न करने वाली कॉल आए और आपकी खुशी संभाले न संभले।

    जीवन के यथार्थ सत्य को बेहतरीन तरीके से शब्दों में बयां कर दिया। मार्मिक रचना!!

    अमृत उद्यान के विषय में अच्छी जानकारी।

    नर्मदा जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। मां नर्मदा सभी में उत्साहवर्धन करें 🙏
    सुंदर लेख।

    उत्साह बढ़ाती बेहतरीन रचना।

    पतझड़ के बाद बसंत प्रकृति का नियम है।
    सुंदर प्रस्तुति।

    लिंकों को जोड़कर बनाई गई सुंदर प्रस्तुति जो हमलोग को आपस में जोड़ती है❣️

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    उत्तर
    1. रूपा जी,
      शायद आपने गलती शहीद दिवस की शुभकामनाएँ लिखा है क्योंकि आप तो जानती ही होंगी पुण्यतिथि पर शुभकामनाएँ नहीं प्रेषित की जाती है।
      बाकी आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया बहुत अच्छी लगी।
      सस्नेह।

      हटाएं
    2. प्रिय रूपा ,
      तहेदिल से शुक्रिया कि आप यहाँ आयीं और समस्त लिंक्स तक पहुँच कर पढ़ा और गहन प्रतिक्रिया दी । ऐसी प्रतिक्रियाओं से प्रत्येक चर्चाकार का हौसला बढ़ता है ।

      हटाएं
    3. श्वेता जी, माफी चाहती हूं। शहीदी दिवस पर जय हिंद जय भारत लिखना था सिर्फ। आपकी प्रतिक्रिया के बाद दुबारा देखा। ये साधारण त्रुटि नहीं, फिर भी क्षमा चाहती हूं।

      हटाएं
    4. संगीता जी,
      आपका भी तहे दिल से शुक्रिया, आपकी मोतियों की माला की एक मोती मुझे बनाने के लिए।

      हटाएं
  6. आपकी पसंद की मोहक यात्रा और एक सीट मेरे हिस्से ... लिखना सार्थक रहा

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    उत्तर
    1. रश्मि जी ,
      यात्रा में आपका साथ होता है तो आनंद दुगना हो जाता है । बहुत शुक्रिया ।

      हटाएं
  7. अच्छे लेख और जानकारी पूर्ण लिंक्स। बढ़िया हलचल

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  8. आदरणीया संगीता स्वरुप जी ! प्रणाम !
    आपका एवं " पांच लिंको का आनंद " अंतर्जाल-पटल को बहुत बहुत आभार !
    आप सभी को , सुधि मंचस्थ एवं पाठक मंडली सहित "श्री नर्मदा जयंती " "श्री नंदा नवमी" की हार्दिक शुभकामनाए !
    राष्ट्रपिता "बापू" के चरणों में साष्टांग सहित ,
    भारत माता की जय !

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  9. बहुत सुंदर प्रस्तुति
    शहीद दिवस पर राष्टपिता गांधी जी को शत शत नमन

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  10. उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब प्रस्तुति ।
    हमेशा की तरह अपने विरले अंदाज के साथ अद्भुत तारतम्यता !
    साधुवाद एवं सादर नमन आपको 🙏🙏
    गाँधीजी को विनम्र श्रद्धांजलि 🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय सुधा ,
      आपका यहाँ आना और अपनी प्रतिक्रिया देना , मुझे हमेशा उत्साहित करता है ।।आभार ।

      हटाएं
  11. प्रिय दी,
    आज के सुंदर विविध विषयों से सजे अनूठे अंक पर सर्वप्रथम शहीदों को पूरे मन से नमन।
    ---
    राष्ट्र बलिदानों का कर्ज़दार है
    करबद्ध नत हिय श्रद्धाहार है
    प्रथम नमन है वीर सपूतों को
    जो मातृभूमि के खरे श्रृंगार हैं।
    ---–---
    देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में महात्मा गाँधी के
    योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
    आज के अंक की नयी पुरानी रचनाओं की बहुरंगी यात्रा ने मन को तरोताज़ा कर दिया। आप इतनी सुंदरता और सुगढ़ता से रचनाओं को शब्दों के द्वारा जोड़ती हैं कि अलग भाव और शब्दों से गढ़े होने के बावजूद भी सारी रचनाएँ एक दूसरे के साथ ताल मिलाती सी प्रतीत होती हैं।
    रचनाओं को.पढ़ते हुए-

    फ़िजाएँ बेईमान लगती हैं
    इस मदहोश बासंती ऋतु में
    अमृत उद्यान में
    संग भँवरों के बगिया गुंजार कर
    ऊँची उड़ान भरने की सोच ही रही थी कि
    उस फोन कॉल ने झकझोर कर रख दिया कि
    इंद्रधनुषी स्वप्निल बचपन पर
    वेपिंग एक नया खतरा है
    ओह्ह...
    लोग बदल गये हैं
    हे माँ लोक-कल्याण हो
    ऐसा आशीष दो माँ!
    ----
    अगले अंक की प्रतीक्षा में
    सप्रेम प्रणाम दी।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता ,
      शहीदों के लिए तुम्हारे उद्गार में हम सब भी शामिल हैं ।
      रचनाओं को पढ़ते हुए अद्भुत रूप से नई रचना जन्म लेती है तुम्हारी लिखनी से ।
      लाजवाब प्रतिक्रिया ।।आभार ।

      हटाएं
  12. एक मुक्तक वीरों को समर्पित🙏

    हुतात्मा

    हुतात्मा वे अमर होंगी दिये है प्राण सीमा पर ।
    करें वंदन मचा क्रंदन भरा हर ओर जय का स्वर ।
    बहाकर रक्त निज तन का बचाते देश का गौरव।
    निछावर कर चले सब कुछ वतन पर वार कर निज सर।।

    कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

    आदरणीय संगीता जी आपकी असाधारण प्रस्तुति सदा ही मन को प्रसन्न करती है ।
    अत्यंत व्यस्तता के चलते में लिंकों पर तो नहीं जा पाई पर आपकी विशेष टिप्पणियाँ सभी पढ़ ली सभी रचनाओं पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया पढ़कर मन आनंदित हुआ सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं।
    आपको शानदार प्रस्तुति के लिए सादर साधुवाद।
    मेरी पुरानी रचना को आज की विशेष प्रस्तुति में चयन करने के लिए हृदय से आभार आपका।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपके द्वारा सृजित मुक्तक में हम सबकी आवाज़ भी शामिल है ।
      हार्दिक आभार आपकी प्रतिक्रिया के लिए ।

      हटाएं

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