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शुक्रवार, 20 जनवरी 2023

3644...उम्मीद की एक किरण

 शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।

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हम जीवन में अपने लक्ष्य को हासिल कर पाते हैं या नहीं यह पूरी तरह से हमारी सोच पर ही निर्भर करती है। असल में हमारी सोच ही हमारा असली व्यक्तित्व और व्यवहार है जो भौतिक रूप में बाहर निकल कर प्रतिबिंबित होती है।  वास्तव में हमारी सोच हमारे व्यक्तित्व का प्रतिबिंब है।

आज की रचनाओं की कड़ी----
संसार की खूबसूरती प्रकृति है और मनुष्य जीवन भी प्रकृति से ही संभव है। हम जितने प्रकृति के निकट होंगे, उतने सकारात्मक होते जाएंगे।प्रकृति से जुडाव होने पर विचारों में सकारात्मक आती है, सकारात्मक विचारों से दिमाग के सीखने की क्षमता पर असर डालते हैं ।
 सकारात्मक होना यानी अप्रिय नहीं सोचना।
प्रकृति से प्रेम का अर्थ जीवन की विपरीत
परिस्थितियों पर भी सकारात्मक दृष्टिकोण

लेकिन उम्मीद की एक किरण
भीतर रखता है 
और इसी उम्मीद पर
एक नया यौवन नये श्रृंगार....
बल्कि अद्भुत श्रृंगार के साथ
पदार्पण करता है
ऊर्जा की एक धधकती लौ फूटती है 

भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका
 मानी गई है। गुरु की सन्निधि, प्रवचन, आशीर्वाद और अनुग्रह जिसे भी भाग्य से मिल जाए उसका तो जीवन 
उजाले से भर उठता है। क्योंकि गुरु बिना न 
आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन।परंतु 
यह भी विचारणीय है कि ज्ञानहीन, आंडबरयुक्त
 गुरु से थोथा ज्ञान ग्रहण करने से अच्छा है
स्वयं के आंतरिक शक्ति को जागृत करना।


उन्होंने महसूस किया कि इंसान को जीवित रहने के लिए शुद्ध हवा में साँस लेना सबसे आवश्यक है , उन्हें दिन में चार पाँच बार प्यास लगती और भूख सिर्फ़ एक बार, खाने में जो फल, मूल, पत्ता, जीभ को कड़वा लगता उसे थूकना पड़ता था उन्होंने उसे हमेशा त्याज्य माना और जो मीठा लगा उसे खाने योग्य !
 


व्यस्ताओं की चहलकदमी में
सोंधी ख़ुशबुएँ जाग रही थीं 
किसी की स्मृति में 
शब्द बौराए हुए उड़े जा रहे थे 
ठंडी हो रही साँझ के लिए
गर्माहट की ललक में 
धूप की कतरन चुनती हुई
अंधेरों में खो जाती हूँ...।

भोर की भाग-दौड़

और व्यस्त सी दिनचर्या से

चुरा के फ़ुर्सत के दो पल

मैं जब तक..,

पहुँचती हूँ खिड़की के पास

 तब तक ..,



हर साँस के साथ उनको/महसूस करते है
जैसे महसूस होती है हवा/अदृश्य प्राणवायु की तरह
जैसे महसूस करते है/अपने रब्ब के वजूद को
खुली बंद पलकों में/जैसे महसूस करते है
धड़कते हुए सीने को/वैसे ही चलती साँसों के
साथ उनको महसूस/कर सकते है...।
इतनी शिद्दत से एहसास महसूसने के बाद तो
हर सवाल व्यर्थ है...

रोज़ बनता है सबब उम्मीद का,
ज़िन्दगी फिर बे-सबब कैसे लगी.

दिल तो पहले दिन से था टूटा हुआ,
ये बताओ चोट अब कैसे लगी।


और चलते-चलते
किसी ने सही कहा है कि हिमालय से ऊंची और सागर से गहरी होती है माँ की ममता। माँ जैसे पवित्र शब्द में संपूर्ण ब्रह्मांड समाया है। माँ के वात्सल्य भरे आँचल के सामने आकाश भी छोटा नजर आता है। एक विशाल मंदिर के समान होता है माँ का निर्मल हृदय जो विषम परिस्थितियों की परछाईं में भी कलुषित नहीं होती...।

उनकी जब डोर कटी होगी तो उन्हें किसी छत का सहारा नहीं मिला होगा। गर्भनाल कटाते मुझे किसी को सौंप दिया या कुछ महीने अपने पास भी रखा, यह तो मैं नहीं जानता लेकिन इतना जानता हूँ कि मुझसे मिलने के लिए वो भी अवश्य तड़पती होंगी।"
"कैसे इतना विश्वास करते हो?"
"मुझे जिसने पाला उसने अपनी अंतिम सांस लेते हुए कहा!"
"क्या उसने यह नहीं बताया कि तुम्हारी माँ कहाँ रहती है?"


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आज के लिए इतना ही
कल का विशेष अंक लेकर
आ रही है प्रिय विभा दी।

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8 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर है लिंक्स की हलचल आज … आभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए …

    जवाब देंहटाएं
  2. सारी कि सारी स्तरीय रचनाएं
    सोच-समझ कर, देख-भाल कर
    पढ़ना पड़ेगा
    आभार...
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छुटकी
    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. सदैव की भांति अपने अलग ही मनमोहक अंदाज़ में बहुत आकर्षक और श्रमसाध्य प्रस्तुति । बेहतरीन सूत्रों से सुसज्जित संकलन में सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक आभार । सादर सस्नेह वन्दे ।

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रिय श्वेता ,
    आज की प्रस्तुति कुछ ज़्यादा खास लग रही है ।
    ये सच ही है कि आपकी सोच ही आपका व्यक्तित्त्व बनाती है । लेकिन कभी कभी कथनी और करनी में अंतर होता है तो ऐसे व्यक्ति के विषय में कुछ कह नहीं सकते ।
    सभी रचनाओं से पहले लिखी तुम्हारी पंक्तियाँ रचना को पढ़ने के लिए आमंत्रित करती लग रही हैं । सभी रचनाएँ एक से बढ़ कर एक हैं । सुंदर चयन के लिए आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. वास्तव में हमारी सोच हमारे व्यक्तित्व का प्रतिबिंब है।
    सारगर्भित भूमिका के साथ लाजवाब प्रस्तुति , सभी लिंक्स बहुत उत्कृष्ट ।
    प्रत्येक लिंक पर आपकी लाजवाब पंक्तियों के तो क्या ही कहने ।
    बस वाह!!!
    👏👏👏👏

    जवाब देंहटाएं
  7. सभी सूत्रों पर जाना हुआ। रचनाओं पर आपकी सार्थक टिप्पणियां यहां भी और लिंक पर भी, रचना की समीक्षा कर गई। सुंदर श्रमसाध्य संकलन सजाने के लिए आपका बहुत आभार श्वेता जी ।

    जवाब देंहटाएं

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